हिंदू धर्म में कई तीज त्यौहार मनाये जाते हैं और उनका काफी महत्व भी होता है. ऐसे ही श्रावण मास के शुक्ल पक्ष के दसवें दिन वरलक्ष्मी व्रत पड़ता है जिसमे लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है. ये व्रत इस बार 24 अगस्त को पड़ रहा है जिसका बहुत खास माना जाता है. वरलक्ष्मी का रूप वरदान देने वाला होता है और वह अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं. इस लिए इस व्रत को वर लक्ष्मी के रूप मनाया जाता है. अगर आप भी इस व्रत को करते हैं तो आइये जानते हैं क्या है इसकी पूजा विधि, महत्व और मुहूर्त.. सबसे पहले जानते हैं इसके लाभ-
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* माना जाता है इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति होती है.
* सुख और संपदा में वृद्धि होती है.
* धन का आगमन होता है.
* पति को दीर्घायु प्राप्त होती है.
* सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है.
* इस व्रत को खास संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है. इस व्रत को करने से संतान योग्य और विद्वान होती है.
पूजा का शुभ मुहूर्त-
सिंह लग्न पूजा मुहूर्त- प्रातः 7 बजे से 8 बजकर 49 मिनट तक
वृष लगन पूजा मुहूर्त- रात्रि 11 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट तक
वरलक्ष्मी व्रत की कथा-
चारुमती नामक महिला माँ लक्ष्मी की बहुत बड़ी भक्त थी. वो हर शुक्रवार को लक्ष्मी जी की पूजा करती थी और वह मगध राज्य में कुंडी नगर में निवास करती थी. एक बार उसे माँ लक्ष्मी ने सपने में दर्शन दिया और उनके इस व्रत के बारे में बताया. इस व्रत के बारे में माँ लक्ष्मी ने बताया कि इसे करने से उसे मनचाहा वर प्राप्त होगा. और चारु ने इस व्रत को नियम के साथ किया. धन, धान्य और संतान की प्राप्ति हुई. यह भी प्रचलित है कि माता पार्वती जी ने भी यह पूजा की है.
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