आप सभी को बता दें कि इस बार वरलक्ष्मी व्रत 9 अगस्त को है. ऐसे में हिंदू धर्म में वरलक्ष्मी व्रत को बहुत ही पवित्र व्रत माना जाता है और इस व्रत को रखने से सभी पाप धूल जाते हैं. कहते हैं वरलक्ष्मी व्रत धन और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है और वर लक्ष्मी देवी खुद महालक्ष्मी का ही एक रूप हैं, जिनका अवतार दूधिया महासागर से हुआ था, जिसे क्षीर सागर नाम से भी जाना जाता है. कहते हैं वर लक्ष्मी का रंग दूधिया महासागर के रंग के रूप में वर्णित किया जाता है और वह रंगीन कपड़े में सजी होती हैं. वहीं ऐसी मान्यता भी है कि देवी वरलक्ष्मी का रूप वरदान देने वाला होता है और वह अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा भी करती हैं, इस कारण से देवी के इस रूप को "वर" और "लक्ष्मी" दोनों के ही रूप में जानते हैं. आइए जानते हैं क्यों रखते हैं यह व्रत.
वरलक्ष्मी व्रत क्या है - आपको बता दें कि वरलक्ष्मी व्रत श्रावण शुक्ल पक्ष के दौरान एक सप्ताह पूर्व यानी कि शुक्रवार के दिन ही मनाई जाती है और इस बार भी यह 9 अगस्त को है. जी दरअसल यह पर्व राखी और श्रवण पूर्णिमा से कुछ ही दिन पहले ही आता है और इस व्रत की अपनी खास ही महिमा होती है. कहते हैं इस खास व्रत को रखने से घर की दरिद्रता खत्म हो जाती है व साथ ही आपके परिवार में सुख-संपत्ति भी हमेशा बनी रहती है. वहीं वेदों, पुराणों एवंं शास्त्रों के अनुसार सावन के महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी को वरलक्ष्मी जयंती मनाई जाती है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह व्रत शादीशुदा जोड़ों को संतान प्राप्ति का सुख भी प्रदान कराने में सक्षम माना जाता है.
आप सभी को बता दें कि यह व्रत खासकर के सुहागिन स्त्रियां बड़े ही उत्साह के साथ करती हैंं और इस व्रत को करने से व्रती को सुख, सम्पति, वैभव की प्राप्ति भी होती है. इस बात का ध्यान रहे कि वरलक्ष्मी व्रत को रखने से अष्टलक्ष्मी पूजन के बराबर फल की प्राप्ति हो जाती है. वहीं अगर पत्नी के साथ पति भी इस व्रत को रखता है, तो इसका महत्व कई गुना और बढ़ने लगता है. आपको बता दें कि यह शुभ व्रत कर्नाटक तथा तमिलनाडु राज्य में बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं.
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