कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं जो सिर्फ मौसम के अनुसार ही खाने को मिलती है. बिना मौसम वो चीज़े आती भी नहीं है और न ही उन्हें खाने का मौका मिल पाता है. ऐसे ही आज हम एक ऐसी रस मलाई की बात कर रहे हैं जो सिर्फ एक खास मौसम में ही खाने को मिलती है. आपको बता दें, शिव की नगरी बनारस (वाराणसी) जीतनी अपनी धार्मिकता के लिए प्रसिद्ध है उतनी ही अपनी मिठाइयों के लिए. इसी में नाम आता है ‘बनारसी मलइयो'. इसी के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं.
'बनारसी मलइयो' एक मात्र ऐसी मिठाई है जिस पर आज भी बनारस का एकाधिकार है. इस मिठाई की सबसे बड़ी विशेषता यह है की इसको बनाने में ओस की बूंदों का इस्तेमाल होता हैं. अब चुकी ओस की बूंदों को इस्तेमाल होता है इसलिए बनारसी मलइयो केवल भरी सर्दी के तीन महीने ही बनाई जाती है. ये मलइयो अगर आपको भी खाना है तो सर्दी का इंतज़ार करना होगा जो बेहद ही खास होती है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसे बनाने का तरीका अन्य मिठाइयों से अलग है. इसे तैयार करने के लिए कच्चे दूध को बड़े-बड़े कड़ाहों में खौलाया जाता है. इसके बाद रात में छत पर खुले आसमान के नीचे रख दिया जाता है. रातभर ओस पडऩे के कारण इसमें झाग पैदा होता है. सुबह कड़ाहे को उतारकर दूध को मथनी से मथा जाता है. फिर इसमें छोटी इलायची, केसर और मेवा डालकर दोबारा मथा जाता है. बनारस में आज भी मलइयो छोटे-छोटे मिट्टी के कुल्हड़ों में सिर्फ जाड़े के मौसम में मिलती है और वह भी बिना टीम टाम या सोलह शृंगार के.
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