वाराणसी: काशी विश्वनाथ मंदिर के एक पूर्व महंत कुलपति तिवारी ने हाल ही में यह दावा किया कि उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर एक शेल्फ में एक छोटा शिवलिंग देखा था। जी हाँ और इसके साथ ही उन्होंने शहर के सक्षम अधिकारियों से इसका पड़ताल करने को कहा था। आप सभी को बता दें कि सामने आने वाली एक रिपोर्ट के अनुसार कुलपति तिवारी ने साल 2014 में खींची गई तस्वीरों को दिखाते हुए कहा, ‘मुझे नहीं पता कि यह शिवलिंग अब भी उस जगह पर मौजूद है या नहीं। मैं सक्षम अधिकारियों से इसे स्पष्ट करने की मांग करता हूं।’
आप सभी को बता दें कि साल 1983 में सरकार द्वारा नियुक्त ट्रस्ट द्वारा प्रबंधन संभालने से पहले काशी विश्वनाथ मंदिर के अंतिम सेवारत महंत रहे तिवारी ने यह दावा किया है कि, 'उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद की दीवारों पर कमल के फूलों और घंटियों के चित्र भी देखे हैं।' इसी के साथ ही उन्होंने दावा किया कि ज्ञानवापी परिसर की पिछली दीवार किसी प्राचीन मंदिर की प्रतीत होती है। इसके अलावा उन्होंने वुज़ू के तालाब का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि, 'इस तालाब के पीछे नंदी और हनुमान की मूर्ति दिखाई दे रही है, जिसे भगवान शिव ने खुद अपने त्रिशूल से बनाया था। इस तालाब में स्नान करने के बाद देवी पार्वती भगवान विश्वेश्वर (शिव का दूसरा नाम) की पूजा करती थीं।'
इसी के साथ कुलपति तिवारी का दावा है कि उनके पास मौजूद ये तस्वीरें वर्ष 2014 में ली गई थीं। हालांकि ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंधन समिति अंजुमन इंतिज़ामिया मस्जिद (एआईएम) तिवारी के दावे को बेबुनियाद बताते हुए खारिज करती है। एआईएम के संयुक्त सचिव एसएम यासीन कहते हैं, ‘उनका दावा बेबुनियाद है। ज्ञानवापी परिसर की दीवार पर कोई ‘ताखा’ नहीं है। हम नहीं जानते कि वह किस तस्वीर के बारे में बात कर रहे हैं।’
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