आज अखंड सौभाग्य देने वाला वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) है। आप सभी को बता दें कि इस दिन वट वृक्ष, सावित्री और सत्यवान की पूजा करते हैं। जी हाँ और वट वृक्ष में कच्चा सूत लपेटा जाता है और परिक्रमा की जाती है। आप सभी तो जानते ही होंगे पूजा के समय वट सावित्री व्रत कथा सुनी जाती हैं और सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, पुत्र और सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं। वहीं पूजा का समापन वट सावित्री व्रत की आरती से करनी चाहिए। आज हम आपको बताने जा रहे हैं वट सावित्री व्रत की आरती।
वट सावित्री व्रत 2022 शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि की शुरूआत: 29 मई, दिन रविवार, दोपहर 02 बजकर 54 मिनट से
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि की समाप्ति: 30 मई, सोमवार, शाम 04 बजकर 59 मिनट पर
पूजा का शुभ महूर्त: सुबह 07 बजकर 12 मिनट के बाद से।
वट सावित्री व्रत की आरती
अश्वपती पुसता झाला।।
नारद सागंताती तयाला।।
अल्पायुषी सत्यवंत।।
सावित्री ने कां प्रणीला।।
आणखी वर वरी बाळे।।
मनी निश्चय जो केला।।
आरती वडराजा।।1।।
दयावंत यमदूजा।
सत्यवंत ही सावित्री।
भावे करीन मी पूजा।
आरती वडराजा ।।
ज्येष्ठमास त्रयोदशी।
करिती पूजन वडाशी ।।
त्रिरात व्रत करूनीया।
जिंकी तू सत्यवंताशी।
आरती वडराजा।।2।।
स्वर्गावारी जाऊनिया।
अग्निखांब कचलीला।।
धर्मराजा उचकला।
हत्या घालिल जीवाला।
येश्र गे पतिव्रते।
पती नेई गे आपुला।।
आरती वडराजा।।3।।
जाऊनिया यमापाशी।
मागतसे आपुला पती।
चारी वर देऊनिया।
दयावंता द्यावा पती।
आरती वडराजा ।।4।।
पतिव्रते तुझी कीर्ती।
ऐकुनि ज्या नारी।।
तुझे व्रत आचरती।
तुझी भुवने पावती।।
आरती वडराजा ।।5।।
पतिव्रते तुझी स्तुती।
त्रिभुवनी ज्या करिती।।
स्वर्गी पुष्पवृष्टी करूनिया।
आणिलासी आपुला पती।।
अभय देऊनिया।
पतिव्रते तारी त्यासी।।
आरती वडराजा।।6।।
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