नई दिल्ली : देश में मोटर वाहनों में इस्तेमाल होने वाले ट्यूब आने वाले दिनों में महंगे हो सकते हैं। अखिल भारतीय टायर डीलर्स फेडरेशन यानि एआईटीडीएफ ने वाहनों के ट्यूब पर जीएसटी बढ़ाने संबंधी प्रतिवेदन बुधवार को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपा है। इस पर जीएसटी परिषद की 19 मार्च को होने वाली बैठक में चर्चा हो सकती है।
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ऐसे तय किये जाते है रेट
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार एआईटीडीएफ ने अपने प्रतिवेदन में कहा है कि शुरू में मोटर वाहनों में उपयोग होने वाले रबर के टायर और ट्यूब पर 28 फीसदी की दर से समान कर लगता था। वही पिछले साल ट्रक, बस, कार, एसयूवी, दोपहिया और तिपहिया वाहनों, अर्थमूविंग मशीनों में लगने वाले ट्यूब पर जीएसटी 28 से घटा 18 फीसदी कर दिया गया। हालांकि, जीएसटी परिषद ने तय किया कि यदि कोई ग्राहक टायर के साथ ट्यूब (पूरा व्हील सेट) खरीदता है तो उसे दोनों पर 28 फीसदी जीएसटी देना होगा, लेकिन ग्राहक यदि सिर्फ ट्यूब खरीदता है तो 18 फीसदी ही जीएसटी देगा।
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इस कारण लिया गया ऐसा फैसला
जानकारी के अनुसार एआईटीडीएफ के संयोजक ने कहा कि ट्यूब पर जीएसटी दर घटने से डीलरों की परेशानी बढ़ गई है। यदि डीलर टायर और ट्यूब का अलग-अलग बिल बनाये तो जीएसटी के इंफोर्समेंट डिपार्टमेंट वाले उन पर कर चोरी का आरोप लगाते हैं। इसलिए डीलरों की मांग है कि टायर-ट्यूब पर दोबारा एकसमान 28 फीसदी जीएसटी कर दिया जाए। अगर परिषद यह फैसला करती है तो इस पर चुनाव आचार संहिता का भी कोई असर नहीं होगा, क्योंकि इसमें दर घटाने के बजाए बढ़ाई जा रही है।
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