अहमदाबाद : केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि हिंदी हमारी मातृभाषा हमारी पहचान है, पर हमें इस पर गर्व होना चाहिए. यह बात उन्होंने साबरमती गांधी आश्रम में महात्मा गांधीजी के जीवन के 100 अलग-अलग प्रसंगो पर बनी पुस्तक के लोकार्पण के दौरान कही.
बता दें कि गांधीजी के जीवन पर लिखी गई यह पुस्तक अंग्रेजी में लिखी गई है. इसे देखकर मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि हमारे देश में जिस तरह से लोग अंग्रेजी भाषा के पीछे दौड़ रहे हैं उसे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्होंने आज की शिक्षा प्रणाली और उसमें इस्तेमाल होते अंग्रेजी भाषा पर भी कई सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि हमारे देश में शिक्षा में मातृभाषा और राष्ट्रभाषा को महत्व देना चाहिए. अभिभावकों द्वारा अंग्रेजी भाषा के लिए बच्चों पर जोर डालने को अनुचित बताया. इस दौरान उन्होंने कहा कि गांधीजी की जीवनशैली ओर उनका जीवन किसी भी इंसान के लिए हर एक समस्या का हल है.
इस मौके पर केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने खुद के नेल्लूर में हिंदी विरोधी अभियान से जुड़ने और मातृभाषा के लिये हिंदी भाषा के बोर्ड पर कालिख पोतने की घटना का जिक्र कर कहा कि . जब वो 1993 में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री बने तब उन्हें अहसास हुआ कि कालिख हिंदी पर नहीं बल्कि उन्होंने अपने सिर पर लगाई थीं.
स्मरण रहे कि केरल में भाषा विवाद अब भी जारी हैं. हाल ही में बैंगलुरु मेट्रो के साइन-बोर्ड में हिंदी का उपयोग किये जाने पर विवाद शुरू हो गया है . कन्नड़ समर्थकों ने मेट्रो में लगने वाले साइन बोर्ड में हिंदी के इस्तेमाल का कड़ा विरोध कर सोशल मीडिया पर भी अभियान शुरू किया है.
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