देशव्यापी लॉकडाउन और कोरोना संकट के बीच उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि आपातकाल के अलावा मेरे जीवन में कभी ऐसा अवसर नहीं आया जब मुझे एक ही स्थान पर इतना लंबा समय व्यतीत करना पड़ा हो. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण मिले समय का वह खूब सदुपयोग कर रहे हैं.
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अपने कथन में आगे शनिवार को उन्होंने फेसबुक पोस्ट में कहा कि वह इन दिनों अच्छी पुस्तकें पढ़ रहे हैं. अपने प्रियजनों के साथ विचार साझा कर रहे हैं. नायडू ने कहा, 'हर चीज़ का मूल तो मस्तिष्क में ही है. किसी भी चुनौती के सामने, हमें अपने मस्तिष्क को उस अनहोनी को स्वीकार करने और उसका समाधान करने के लिए तैयार और प्रशिक्षित करना होता है. अगर हम इस गुत्थी को समझ लें तो हम किसी भी परिवर्तन को सहर्ष स्वीकार और आत्मसात कर सकते हैं.' वही, उपराष्ट्रपति ने आपातकाल का स्मरण करते हुए कहा, 'वह आपातकाल के बाद पहली बार एक ही स्थान पर इतने लंबे समय तक रह रहे हैं और रचनात्मक कार्य कर समय का सदुपयोग कर रहे हैं. अपने विद्यार्थी जीवन के दिनों से ही कभी ऐसा अवसर नहीं आया कि मुझे एक ही स्थान पर इतना लंबा समय व्यतीत करना पड़ा हो. सिवाय आपातकाल के, इस प्रकार बंधन में रहना, न मेरी प्रकृति में है, न ही मेरी प्रवृत्ति में.'
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अपने बयान में आगे उन्होंने कहा, 'मेरे लिए भी यह नया अनुभव ही है और मैं इस नई स्थिति का भरसक उपयोग कर रहा हूं. अपने मन मस्तिष्क को इसकी अनिश्चितता को निर्विकार भाव से स्वीकार करने के लिए प्रशिक्षित कर रहा हूं.' उपराष्ट्रपति ने कहा कि लॉकडाउन के बाद मेरी दिनचर्या में बदलाव आया है. शादी के बाद मैंने अपने घर में एक सप्ताह कभी नहीं बिताया. 1970 में हुई शादी के बाद अब मैं अपनी पत्नी के साथ खूब समय बिता रहा हूं. इस दौरान मैंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, एचडी देवेगौड़ा तथा एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, एके एंटनी,अहमद पटेल तथा मोतीलाल वोरा जैसे नेताओं से भी बात की.
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