इंदौर: एमपी के बहुचर्चित राष्ट्र संत भय्यू महाराज के खुदखुशी मामले में इंदौर की अदालत ने शुक्रवार को फाइनल सुनवाई हुई। अदालत ने मुख्य सेवादार विनायक, ड्राइवर शरद तथा केयरटेकर पलक को अपराधी ठहराया है। सभी को 6-6 वर्ष की जेल की सजा सुनाई गई है। आदेश में कहा गया कि सेवादारों ने भय्यू महाराज को इतना प्रताड़ित किया था कि उन्होंने खुदखुशी कर ली।
वही खबर के मुताबिक, साढ़े तीन वर्ष सुनवाई के पश्चात् सत्र न्यायालय ने फैसला सुनाया। 32 गवाहों को सुना गया। 150 पेशी की गईं। उच्च न्यायालय ने अपराध को प्रमाणित पाया है। सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र सोनी ने महाराज के सेवादार रहे शरद देशमुख, विनायक दुधाले तथा पलक पुराणिक को महाराज को खुदखुशी के लिए दुष्प्रेरित करने के मामले में सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि आरोपित महाराज को रुपयों के लिए प्रताड़ित करते थे। रुपयों के लिए उन्हें ब्लैकमेल भी किया जाता था। बता दें कि भय्यू महाराज ने 12 जून 2018 को अपनी कनपटी पर गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। जो सेवादार भय्यू महाराज के लिए परिवार से बढ़कर थे, जिन पर उन्हें इतना भरोसा था कि उनके भरोसे उन्होंने अपने आश्रम तथा कामकाज सौंप रखे थे, उन्हीं सेवादारों ने उन्हें रुपयों के लिए इतना प्रताड़ित किया कि मजबूरी में उन्हें खुदखुशी जैसे कदम उठाना पड़ा।
वही इस मामले में 19 जनवरी को साढ़े 5 घंटे सुनवाई हुई थी। इसमें ही तय हुआ था कि भय्यू महाराज खुदखुशी मामले में 28 जनवरी को फैसला सुनाया जाएगा। महाराज को खुदखुशी के लिए उकसाने के इल्जाम में उनके सेवादार विनायक, शरद एवं पलक लम्बे वक़्त से जेल में हैं। अपर सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र सोनी की अदालत में दो सत्रों में साढ़े 5 घंटे तक सुनवाई चली।
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