आप सभी को बता दें कि वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है और यह गौतम बुद्ध की जयंती है और उनका निर्वाण दिवस भी. जी हाँ, कहा जाता है इस दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी और इस दिन को बौद्ध धर्म को मानने वाले विश्व में 50 करोड़ से अधिक लोग इस दिन को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. ऐसे में हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए बुद्ध विष्णु के नौवें अवतार हैं और हिन्दुओं के लिए भी यह दिन पवित्र माना जाता है.
इस बार बुद्ध पूर्णिमा 18 मई को है. जी हाँ, ऐसे में गृहत्याग के पश्चात सिद्धार्थ सात वर्षों तक वन में भटकते रहे और यहाँ उन्होंने कठोर तप किया और अंततः वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई. तभी से यह दिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है. इसी के साथ इस दिन बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है और उसकी शाखाओं पर हार व रंगीन पताकाएँ सजाई जाती हैं.
कहते हैं इसकी जड़ों में दूध व सुगंधित पानी डाला जाता है और वृक्ष के आसपास दीपक जलाए जाते हैं. इसी के साथ इस दिन मांसाहार का परहेज होता है क्योंकि बुद्ध पशु हिंसा के विरोधी थे और इस दिन किए गए अच्छे कार्यों से पुण्य की प्राप्ति होती है. कहते हैं इस दिन पक्षियों को पिंजरे से मुक्त कर खुले आकाश में छोड़ा जाता है और इसी के साथ गरीबों को भोजन व वस्त्र दिए जाते हैं.
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