नई दिल्ली: विश्व हिंदू परिषद (VHP) के अध्यक्ष आलोक कुमार ने शुक्रवार को ज्ञानवापी मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से सहमति जताते हुए दावा किया कि हिंदू पक्ष यह साबित करने में सक्षम होगा कि वजूखाने में मिला शिवलिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। उन्होंने कहा कि, हम शीर्ष अदालत से सहमत हैं कि यह मामला जटिल है और इसके लिए एक गंभीर और अनुभवी जज की आवश्यकता है। अदालत ने कहा है कि जिला अदालत इस पर गौर करेगी। हम सुप्रीम कोर्ट से सहमत हैं।
VHP अध्यक्ष ने कहा कि वे यह साबित करने में सक्षम होंगे कि ज्ञानवापी में 'शिवलिंग' 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। उन्होंने कहा कि, हम मानते हैं कि यह शिवलिंग है, क्योंकि नंदी इसे देख रहे हैं और स्थान से पता चलता है कि यह मूल ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मुगलों ने मंदिर को ध्वस्त किया। हम इसे कोर्ट में साबित करने में सक्षम होंगे और सर्वोच्च न्यायालय इस मामले का फैसला करेगा। जज को स्थानीय आयुक्त की रिपोर्ट लेने के लिए अधिकृत किया गया है और हम साबित करेंगे कि यह मूल ज्योतिर्लिंग ही है।
उन्होंने दावा किया कि 1991 का अधिनियम ज्ञानवापी मामले पर लागू नहीं होगा। क्योंकि अधिनियम में कहा गया है कि अगर धार्मिक स्थान किसी अन्य अधिनियम पर काम करता है, तो यह अधिनियम प्रभावी नहीं है। काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए पहले से ही एक अलग कानून है। आज शीर्ष अदालत ने भी संकेत दिया है कि अधिनियम इस मामले की सुनवाई को नहीं रोकता है।
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