नई दिल्ली: देश की बढ़ती आबादी पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने चिंता प्रकट की है. वेंकैया नायडू ने कहा कि जनसंख्या वृद्धि पर लगाम लगाने के लिए विकास की चुनौतियों में एहतियात बरतनी होगी. सियासी दलों और नेताओं को इस मामले में लोगों को समझाना चाहिए. उपराष्ट्रपति ने भारत की पारंपरिक संयुक्त परिवार प्रणाली का एक बार फिर उल्लेख किया.
नायडू ने कहा है कि, बुजुर्गों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार, अनादर की ख़बरों से काफी व्यथित होता हूं. लिंग अनुपात में अधिक अंतर होना हमारे समाज की स्थिरता पर नकारात्मक असर डालेगा. उपराष्ट्रपति ने एक ऐसे समाज के निर्माण का आह्वान किया जो सभी तरह के लैंगिक पक्षपात से मुक्त हो. IAPPD की रिपोर्ट में संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए रिजर्वेशन की मांग की. नायडू ने जनसंख्या के मुद्दे पर सबका ध्यान खींचते हुए कहा कि तेजी से बढ़ती आबादी की वजह से आज विकास की चुनौतिया बढ़ती जा रही हैं. रिपोर्ट पर बात करते हुए नायडू ने कहा कि, हमें जनसंख्या और विकास के बीच के संबंध को पहचानने की आवश्यकता है. विशेषज्ञों द्वारा किए गए अनुमानों के हवाले से कहा गया है कि देश की आबादी 2036 तक बढ़कर 1.52 बिलियन हो जाएगी.'
वेंकैया नायडू ने कहा कि जनसंख्या बढ़ोत्तरी की वजह से आज 20 फीसद लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं और इतने ही लोग अशिक्षित भी हैं. इस मामले पर चर्चा करते हुए उन्होंने परिवार नियोजन पर जोर दिया. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी गत वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर देश को संबोधित करते हुए कहा था कि जिनका परिवार छोटा है उन्होंने भी देश के विकास में अपना योगदान दिया है.
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