यूं तो पूरे विश्व में क्रिकेट को लेकर दीवानगी देखी जाती है , लेकिन फुटबॉल का खेल भी ऐसा ही है खेल है ,जिसके लिए लोगों की दीवानगी देख टीवी पर देखने वालों की जान पर बन आती है.बता दें कि इस वर्ष का फीफा वर्ल्ड कप रूस में 14 जून से 15 जुलाई के बीच खेला जाएगा. हालाँकि इसमें अभी थोड़ा वक्त है , लेकिन इस वर्ल्ड कप को लेकर दर्शकों में अभी से उत्साह का संचार देखा जा रहा है.यह उत्साह इसलिए भी है, कि इस बार वर्ल्ड कप में वीडियो सहायक रेफरी तकनीक (वीएआर) का उपयोग किया जाएगा.
इस बारे में फीफा अध्यक्ष जियानी इन्फेनटिनो ने यह जानकारी देते हुए बताया कि फुटबाल के नियमों से जुड़े अंतरराष्ट्रीय फुटबाल संघ बोर्ड (आईएफएबी) ने ज्यूरिख में इस प्रौद्योगिकी को हरी झंडी दिखा दी थी और फीफा परिषद ने उसे अंतिम मंजूरी दे दी.इसे वर्ल्ड कप में इस्तेमाल करने से पहले VAR का 2016 से 20 महासंघों ने प्रयोग के तौर पर उपयोग करके इसको लगभग 1000 मैचों में इसे आजमाया जाने के बाद इसे लागू करने का फैसला किया गया. ऐसा नहीं है कि सब ने वीएआर की इस नई तकनीक का समर्थन ही किया. यूरोपीय फुटबाल संस्था यूएफा इसे लेकर अभी तक अनिश्चितता से बाहर नहीं आ पाई है.
क्या है वीएआर तकनीक ?
दरअसल वीएआर की इस तकनीक का उपयोग यह पता करने के लिये किया जाएगा, कि गोल हुआ या नहीं और पेनल्टी देनी चाहिए या नहीं. इसके अलावा ये रेड कार्ड को लेकर भी फैसला करने के अलावा किसी खिलाड़ी को गलती से दी गई सजा में भी सुधार करेगी. रेफरी को जब महत्वपूर्ण फैसले करने होंगे तब उनके लिये इससे अतिरिक्त मदद की संभावना बनेगी. वीडियो असिस्टेंट रेफरी तकनीक से मुख्य रेफरी को मदद मिलने से यह खेल पारदर्शी और साफ सुथरा होगा.
लेकिन इस बार के फीफा वर्ल्ड कप में दूसरी अनूठी बात यह होगी कि इस बार इंग्लैंड का कोई मैच रैफरी और सहायक नहीं होगा.99 मैच अधिकारियों की जारी सूची में इंग्लैंड का नाम नहीं है . यहां तक की कोई सहायक भी शामिल नहीं. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पिछले सत्र में प्रीमियर लीग से संन्यास लेने वाले रैफरी मार्क क्लाट्टेनबर्ग को बड़ी रकम मिल गई और वह सऊदी अरब चले गए जिससे फीफा के पास इंग्लैंड के किसी रैफरी को रखने का विकल्प ही नहीं बचा.ऐसी मान्यता है कि फुटबाल की शुरुआत इंग्लैंड से हुई . लेकिन आज हालात ऐसे हो गए हैं, कि इस देश का कोई रैफरी वर्ल्ड कप में शामिल नहीं होगा , जबकि इस सूची में यूएफा से मान्यता प्राप्त देशों जर्मनी, तुर्की, रूस, नीदरलैंड, पोलैंड, स्पेन, सर्बिया, इटली, स्लोवेनिया और फ्रांस के रैफरियों को स्थान मिला है. यह स्थिति इंग्लैण्ड के लिए बेहद अफसोसजनक है.
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