नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली के सीमापुरी इलाके में 1 अक्टूबर को दिल्ली पुलिस पर स्थानीय लोगों द्वारा पत्थरबाज़ी की गई थी। पुलिस वहाँ उन बदमाशों को गिरफ्तार करने गई थी जो एक मीट कारोबारी पर गोली चलाकर फरार हुए थे। पुलिस के कॉलोनी में घुसते ही उनपर ईंट-पत्थर बरसाए जाने लगे। घटना में SHO सहित 5 पुलिसकर्मी जख्मी हो गए जबकि हमलावरों में से 10 को अरेस्ट किया गया।
इस बाबत एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। वीडियो में देख सकते हैं कि कैसे दिल्ली पुलिस के कॉलोनी में घुसते ही उन पर धड़ाधड़ ईंट-पत्थर से हमला किया जा रहा हैं। यह हमला तेज रफ़्तार से लगातार हो रहा है। पुलिस चाह कर भी आगे नहीं बढ़ पा रही। इस वीडियो को लेकर ट्विटर पर सवाल किया जा रहा है कि यदि इस हमले के बाद पुलिस कोई जवाबी कार्रवाई कर देती या अपना बचाव करती तो पुलिस को जल्लाद कहा जाता, उन्हें निलंबित कर जाता और मानवाधिकार का रोना शुरू हो जाता। लेकिन क्या पुलिस का कोई मानवाधिकार नहीं होता ?
दिल्ली, सीमापुरी इलाके का वीडियो. फायरिंग की जांच करने गई पुलिस जिप्सी पर ताबड़तोड़ पत्थर बरसाते लोग.अगर पुलिस वाले बचाव में गाड़ी चढ़ा देते तो? #दिल्ली_पुलिस_जल्लाद कहलाती, #मानवाधिकार_आयोग जांच करता,सस्पेंड होते पुलिस के लोग.क्या ये सही है? @arvindkejriwal#StandWithDelhiPolice pic.twitter.com/ugkAfccTjs
— Niranjan Dubey (@dubayniranjan) October 5, 2021
हमले के बाद पुलिस ने दो महिलाओं सहित 10 को गिरफ्तार किया है। इनमें मोईदुल शेख, रुखसाना, महमूद फिरोज, अजय, इकबाल, हसीबुल दाराजुल मोहम्मद मियां, राहुल, अमीन शामिल हैं। पुलिस बाकी आरोपितों की खोज कर रही है। बताया जा रहा है कि ये सारा मामला शाह आलम, जो कि सीमापुरी में मीट की दुकान चलाते हैं उनपर हुई गोलीबारी से शुरू हुआ था।
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