आप सभी को बता दें कि हर साल विजया एकादशी आती है. ऐसे में इस साल यह व्रत 2 फरवरी यानी शनिवार को है. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं 2 मार्च को आने वाली विजया एकादशी की पूजा विधि.
विजया एकादशी पूजा विधि - आप सभी को बता दें कि विजया एकादशी व्रत के विषय में ऐसी मान्यता है कि इसको करने से स्वर्ण दान, भूमि दान, अन्नदान और गौदान से अधिक पुण्य फल मिल जाता है और एकादशी व्रत के दिन भगवान नारायण की पूजा की जाती है. इसी के साथ इस दिन व्रत पूजन में धूप, दीप, नैवेध, नारियल का प्रयोग करते हैं. कहते हैं विजया एकादशी व्रत में सात धान्य घट स्थापना करते हैं और सात धान्यों में गेंहूं, उड्द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर है. इसी के साथ अब ऊपर श्री विष्णु जी की मूर्ति रख देते हैं और इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को पूरे दिन व्रत करने के बाद रात्रि में विष्णु पाठ करते हुए जागरण करना जरुरी माना जाता है. वहीं व्रत से पहले की रात्रि में सात्विक भोजन करें और एकादशी व्रत 24 घंटों के लिये करें तभी लाभ होगा. वहीं इस व्रत का समापन द्वादशी तिथि के प्रात:काल में अन्न से भरा घडा ब्राह्माण को देकर कर सकते हैं.
कहते हैं यह व्रत करने से दु:ख दूर हो कर जीवन की कठिन परिस्थितियों में विजय मिलने लगती है और इस व्रत के एक दिन पहले वेदी बनाकर उस पर सप्तधान रखना चाहिए. उसके बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार सोने, चांदी, तांबे अथवा मिट्टी का कलश बनाकर उस पर स्थापित करने के बाद एकदशी के दिन उस कलश में पंचपल्लव (पांच तरह के पेड़ के पत्ते) रखकर भगवान श्री विष्णु की मूर्ति स्थापित करना चाहिए. अब विधि सहित धूप, दीप, चंदन, फूल, फल एवं तुलसी से प्रभु का पूजन करना चाहिए और व्रती को पूरे दिन भगवान की कथा का पाठ एवं श्रवण करना चाहिए. अंत में रात्रि में कलश के सामने बैठकर जागरण करना चाहिए और द्वादशी के दिन कलश को योग्य ब्राह्मण अथवा पंडित को दान कर देना चाहिए.
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