नई दिल्ली: विजयादशमी के अवसर पर शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) चीफ मोहन भागवत ने नागपुर मुख्यालय में ‘शस्त्र पूजन’ किया. इस अवसर पर भागवत ने डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और माधव सदाशिव गोलवलकर को भी पुष्पांजलि दी. इस दौरान अपने संबोधन में RSS चीफ मोहन भागवत ने कहा कि जिस दिन हम आज़ाद हुए उस दिन स्वतंत्रता के आनंद के साथ हमने एक अत्यंत दुर्धर वेदना भी अपने मन में अनुभव की.
उन्होंने आगे कहा कि, वो दर्द अभी तक गया नहीं है. अपने देश का बंटवारा हुआ, अत्यंत दुखद इतिहास है वो, किन्तु उस इतिहास के सत्य का सामना करना चाहिए, उसे जानना चाहिए. भागवत ने कहा जिस शत्रुता और अलगाव की वजह से विभाजन हुआ, उसकी पुनरावृत्ति नहीं करनी है. पुनरावृत्ति टालने के लिए, हमारी खोई हुई अखंडता और एकात्मता को वापस लाने के लिए उस इतिहास को सबको जानना चाहिए. विशेषकर नई पीढ़ी को जानना चाहिए. खोया हुआ वापस आ सके, खोए हुए बिछड़े हुए को वापस गले लगा सकें. उन्होंने कहा कि अपने मत, पंथ, जाति, भाषा, प्रान्त आदि छोटी पहचानों के संकुचित अहंकार को हमें भूलना होगा.
उन्होंने कहा कि यह वर्ष हमारी स्वाधीनता का 75वां वर्ष है. 15 अगस्त 1947 को हम स्वाधीन हुए. हमने अपने देश के सूत्र देश को आगे चलाने के लिए खुद के हाथों में लिए. स्वाधीनता से स्वतंत्रता की तरफ हमारी यात्रा का वो शुरूआती बिंदु था. हमें यह स्वाधीनता रातों रात नहीं मिली है. RSS प्रमुख ने कहा कि स्वतंत्र भारत का चित्र कैसा हो इसकी भारत की परंपरा के मुताबिक, समान सी कल्पनाएं मन में लेकर, देश के तमाम क्षेत्रों से सभी जातिवर्गों से निकले वीरों ने तपस्या त्याग और बलिदान के हिमालय खडे किये हैं.
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