नई दिल्ली : विजयपत सिंघिनिया ने करीब 3 साल पहले रेमंड ग्रुप का स्वामित्व अपने बेटे गौतम सिंघानिया के हाथों में सौंप दिया था और तब इसके पीछे उनकी सोच थी कि अरबों का टेक्सटाइल बिजनेस परिवार के अधीन रह जाएगा. लेकिन अब आपको बता दें कि वह 3 साल पहले लिए गए फैसले से बेहद परेशान है.उन्होंने अपने बेटे पर आरोप लगाते हुए कहा है कि मैंने जिस बेटे को इतना बड़ा कारोबारी साम्राज्य सौंपा था, उसी ने उन्हें न केवल कंपनी के दफ्तरों से बल्कि अपने फ्लैट से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया.
ऐसे शुरू हुआ पिता-पुत्र के बीच झगड़ा
विजयपत के लिए मुश्किलें उस समय खड़ी होने लगी जब उन्होंने साल 2015 में रेमंड ग्रुप का कंट्रोलिंग स्टेक (50% से ज्यादा शेयर) अपने 37 वर्षीय पुत्र गौतम सिंघानिया के हाथों में दे दिया. इससे पहले
पारिवारिक झगड़े को समाप्त करने के उद्देश्य से वर्ष 2007 में हुए समझौते के मुताबिक विजयपत को मुंबई के मालाबार हिल स्थित 36 महल के जेके हाउस में एक अपार्टमेंट मिलना था और इसकी कीमत बाजार मूल्य के मुकाबले बहुत कम थी. अतः बाद में कंपनी गौतम सिंघानिया के हाथों आ गई तो उन्होंने बोर्ड को कंपनी की इतनी मूल्यवान संपत्ति नहीं बेचने दी.
अब विजयपत का नया दांव...
कोर्ट के हालिया आदेश के बाद अब विजयपत नया दांव खेलने की तैयार में हैं. उनके मुताबिक, उन्होंने 2 साल से बेटे से बात तक नहीं की है और अब वे बेटे के खिलाफ होने के लिए तैयार है. बता दें कि 2007 के कानून के तहत मूलभूत जरूरतें पूरी नहीं होने के सूरत मेंअपने बच्चों को उपहार में दी गई संपत्ति वापस लेने का अधिकार दिया गया है. अतः अब विजयपत इस उम्मीद पर कोर्ट में लड़ाई जारी रखेंगे.
ऐसा रहा रेमंड ग्रुप का सफर...
बता दें कि 80 साल पहले इसकी शुरुआत छोटे स्तर पर हुए थी और धीरे-धीरे टेक्सटाइल बिजनस देश के घर-घर तक पहुंच गया और आज रेमंड ग्रुप का दावा है कि वह दुनियाभर में सबसे ज्यादा हाई क्वॉलिटी के ऊनी सूट्स बनाता है. इतना ही नहीं इस समूह का सीमेंट, डेयरी और टेक्नॉलजी सेक्टर का भी कारोबार है.
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