हरियाणा के जींद जिले के बीबीपुर गांव की कहानी काफी दिलचस्प है. जो हर युवा के लिए प्रेरणा बन सकती है. बीबीपुर गांव की कहानी दिल्ली के निजी स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली है. यह कहानी दसवीं क्लास के बच्चे पढ़ेंने वाले है. बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच सुनील जागलान के बीड़ा उठाने पर यह संभव हुआ है. सुनील जागलान छह जून 2010 से जनवरी 2016 तक बीबीपुर गांव के सरपंच रहे. उनकी दो बेटियां हैं. अब उन्होंने सेल्फी विद डाटर कैम्पेन को ऊंचाइयां देने का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है.
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इसके अलावा उनके द्वारा गांव के हित में किए गए काम और बदलाव की कहानी को हर स्कूल में पढ़ाया जाने वाला है. भारत के निजी स्कूलों में दसवीं क्लास की वर्क बुक में विशेष तौर पर यह पढ़ाया जाने वाला है. दसवीं क्लास की वर्क बुक में सुनील जागलान के सामाजिक कार्यों, बदलाव के बड़े उदाहरण और नतीजों के साथ ही बच्चों के प्रेरणा स्रोत के रूप में एक बड़ा चैप्टर दिया गया है, जिसका नाम है, ए विलेज नेम्ड बीबीपुर.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि स्काईपाथ नामक इस वर्क बुक की सीरीज एडिटर डीपीएस शारजाह (संयुक्त अरब अमीरात) की फाउंडर प्रिंसिपल एवं दिल्ली के संस्कृति स्कूल की पूर्व प्रिंसिपल आभा सहगल हैं. उन्होने काफी मेहनत से इस वर्क बुक को तैयार किया है. अमृता विद्यालयम दुर्गापुर की सह-प्रिंसिपल सुथापा मुखर्जी ने यह पुस्तक लिखी है. यह पुस्तक दिल्ली के निजी स्कूलों में अगस्त से शुरू होने वाले शिक्षा सत्र में पढ़ाई जाएगी. फिर इसे देश के बाकी राज्यों में पढ़ाने की शुरुआत होगी.बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच सुनील जागलान अब 'अभियान मैन' बन चुके हैं. वही, महिलाओं के सशक्तिकरण, पंचायतों को उनके अधिकार दिलाने व हाईटेक बनाने के जो अभियान उन्होंने कई साल पहले गांव स्तर पर शुरू किए थे, अब वह पूरे देश और प्रदेश में लागू हो रहे हैं. सबसे पहले उन्होंने बीबीपुर की पंचायत की वेबसाइट बनाई. पूरे देश की पंचायतों ने इसे अपनाया.
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