हम में से हर कोई जानता है कि साँपों का नाम लेने से ही अच्छे-अच्छों के पसीना छूट जाते हैं. तो वहीं वहीं कुछ लोग तो ऐसे भी है जो साँपों को बस एक खिलौना ही समझते है. जी..हाँ. की लोगों के लिए यह बिलकुल सच है. यूं तो साँपों को हमारे देश में पूजनीय माना जाता है, हलांकि उनका डर भी आम लोगों में नया नहीं है और हमारे देश में हर साल बहुत से लोगों की मौत सांप के काटने से हो जाती है. तो वहीं की लोग सचमुच साँपों को महज एक खिलौने से ज्यादा नहीं समझते हैं.
दोस्तों, आज हम आपसे बात कर रहें है ऐसी जगह की जहां बड़े तो दूर बच्चे भी साँपों से खेलते हैं. यह जगह के उत्तर प्रदेश के कानपूर की. कानपुर में एक गांव सपेरों के गांव के नाम से जाना जाता है और यहां बच्चे सांपो से ऐसे खेलते है मानो ये उनके लिए कोई प्लास्टिक का खिलौना हो.
ख़ास बट यह है कि इस गांव में सांप के काटने से किसी की मौत नहीं हुई है. वहीं यदि आसपास के गांवों में किसी को सांप ने डस लिया है तो उसे भी इलाज के लिए यहीं पर लाया जाता है. जानकारी के मुताबिक, जिसे सपेरे मंत्र और जड़ी बूटियों के जरिए ठीक कर देते है. यह गांव सांपों के कारण काफी प्रसिद्ध है. बता दें कि इस गांव का नाम जोगीडेरा है और यहां के बच्चे सांपो के साथ खेलते हुए नजर आते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक, ”सांप पकड़ने का पेशा बाप-दादा पहले से करते आ रहे है और इसलिए यहां घरों में दर्जन भर सांप मौजूद है.
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