आप सभी जानते ही होंगे हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह दो चतुर्थी पड़ती है। जी हाँ और इनमे पहली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी जिसे संकष्टी गणेश चतुर्थी कहते हैं, वहीं दूसरी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। आप सभी जानते ही होंगे इस समय वैशाख माह चल रहा है और इस महीने की कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी 19 अप्रैल को थी। वहीं अब शुक्ल पक्ष की चतुर्थी आने वाली है। जी हाँ और वैशाख शुक्ल चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। केवल यही नहीं बल्कि इस दिन भगवान गणेश के भक्त उपवास रखते हैं और विधि-विधान से पूजा करते हैं। आप सभी को बता दें कि चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेशजी को समर्पित मानी जाती है और हिंदू धर्म में गणेश जी को सभी संकटों को दूर करने वाला और विघ्नहर्ता माना जाता है। तो आइए जानते हैं विनायक चतुर्थी की तिथि और पूजा विधि।
विनायक चतुर्थी की तिथि- विनायक चतुर्थी 2022 तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 04 मई दिन बुधवार की सुबह 07 बजकर 32 मिनट से शुरु हो रही है, जो कि 05 मई दिन गुरुवार को सुबह 10 बजे तक रहेगी। जी हाँ और इसके चलते उदयातिथि के आधार पर वैशाख माह की विनायक चतुर्थी व्रत 04 मई को रखा जाएगा।
शुभ मुहूर्त- भगवान गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 58 मिनट से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक है।
विनायक चतुर्थी पर ऐसे करें गणेश जी की पूजा- आप सभी जानते ही होंगे भगवान गणेश को सिंदूर बेहद प्रिय है, इसलिए विनायक चतुर्थी के दिन पूजा करते समय गणेश जी को लाल रंग के सिंदूर का तिलक लगाएं और स्वयं भी तिलक लगाएं। साथ ही सिंदूर चढ़ाते समय नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें- "सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्। शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्॥" गणेश जी को मोदक बेहद पसंद है। अगर आप उनकी कृपा पाना चाहते हैं तो इसके लिए विनायक चतुर्थी के दिन मोदक या लड्डू का भोग जरूर लगाएं। केवल यही नहीं बल्कि इसके अलावा विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की पूजा लाल फूल, मोदक, दूर्वा, अक्षत्, चंदन, लड्डू, धूप, दीप, गंध आदि से करना चाहिए। ध्यान रहे जो लोग व्रत रखते हैं, उनको व्रत कथा का पाठ करना चाहिए।
मृत्यु पर भी विजय प्राप्त करने के लिए पढ़े गणेश कवच
आज भूल से भी न करें चंद्रमा के दर्शन, हो जाए तो पढ़े यह मंत्र और कथा