अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता हैं जो कल यानी 20 सितंबर को आने वाली है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं किस विधि से करना है आपको कल यानी 20 सितंबर को गणेश जी का पूजन।
कैसे करें विनायक चतुर्थी का पूजन-
* इस दिन ब्रह्म मूहर्त में उठ जाए और उसके बाद नित्य कर्म से निवृत्त हो जाए। अब इसके बाद स्नान करें और लाल रंग के वस्त्र धारण कर ले।
* अब आप दोपहर पूजन के समय अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार सोने, चांदी, पीतल, तांबा, मिट्टी अथवा सोने या चांदी से निर्मित गणेश प्रतिमा स्थापित कर दे।
* अब आप संकल्प के बाद षोडशोपचार पूजन कर श्री गणेश की आरती करें। इसके बाद श्री गणेश की मूर्ति पर सिन्दूर चढ़ाएं।
* अब गणेश का प्रिय मंत्र- 'ॐ गं गणपतयै नम:' बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ा दें।
* अब आप श्री गणेश को बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगा दें और इनमें से 5 लड्डुओं का ब्राह्मण को दान दें। बाकी के 5 लड्डू श्री गणेश के चरणों में रख दें और बाकी को प्रसाद में बाँट दे।
* ध्यान रहे पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करना ना भूले।
* इस दिन ब्राह्मण को भोजन करवा दें और दक्षिणा दें।
* इस दिन शाम के समय गणेश चतुर्थी कथा, श्रद्धानुसार गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा, गणेश पुराण आदि का पाठ भी करें।
* 'ॐ गणेशाय नम:' मंत्र की कम से कम 1 माला जाप करें।
विनायक चतुर्थी के मुहूर्त-
रवि योग- सुबह 6:08 से रात्रि 10:52 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:50 से दोपहर 12:39 मिनट तक।
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:16 से दोपहर 03:05 मिनट तक।
अमृत काल मुहूर्त- दोपहर 2:58 से शाम 04:24 मिनट तक।
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