आप सभी को बता दें कि आज चैत्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि और मंगलवार का दिन है और आज नवरात्र का भी चौथा दिन है. ऐसे में आज के दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्माण्डा की उपासना की जाने वाली है लेकिन इसी के साथ ही आज विनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत है. आप सभी को बता दें कि वैसे तो ये व्रत हर महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ता है, लेकिन नवरात्र के दौरान पड़ने के कारण इस वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी का महत्व और भी बढ़ गया है. ऐसे में ज्योतिषों के अनुसार नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के साथ ही विभिन्न शक्तियों या देवी-देवताओं की उपासना का भी बड़ा महत्व माना जाता है. कहते हैं आज के दिन श्री गणेश भगवान की उपासना करना, उनके मंत्रों का जप करना और उनके निमित्त विशेष उपाय करना आपके लिये बड़ा ही लाभकारी सिद्ध हो सकता है. आइए जानते हैं आज उच्छिष्ट गणपति मंत्र जो आपको लाभ दिलाने में सहायता करेगा.
उच्छिष्ट गणपति मंत्र - वक्र तुण्डाय हुं
ऐसे करें उच्छिष्ट गणपति नवार्ण मंत्र को सिद्ध - कहते हैं मंत्र प्रयोग के लिये सबसे पहले आपको मंत्र सिद्ध करना होगा और इसके लिये आपको आसन पर बैठकर 1008 बार उच्छिष्ट गणपति नवार्ण मंत्र का जप करना चाहिए. वह मंत्र है- हस्तिपिशचिलिखे स्वाहा। कहा जाता है इस मंत्र के जप से ही कुबेर जी निधियों के स्वामी बन गये. वहीं कहा जाता है ये मंत्र बड़ा ही लाभदायी है और अगर आप 1008 बार इस मंत्र का जप न कर सकें, तो 108 बार जप करें. वहीं श्री गणेश जी के मंत्रों के जप के लिये लाल चन्दन की माला सर्वश्रेष्ठ बतायी गयी है और लाल चन्दन न होने की स्थिति में मूंगा, श्वेत चन्दन, स्फटिक या रूद्राक्ष की माला पर भी जप करना भी लाभकारी होगा.
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