SC/ST एक्ट के खिलाफ दलित और आदिवासी संगठनों के भारत बंद के आह्वान में पूरा देश जल रहा है. सूत्रों की माने तो ये सब रचा रचाया खेल है जो सिर्फ और सिर्फ सियासी फायदे के लिए खेला जा रहा है, वही विपक्ष इसे डेटा लीक मामले से ध्यान हटाने की साजिश मान रहा है. यूपी और बिहार में हालात बेहद गंभीर है. पिछले दिनों बाबा साहेब के नाम के आगे राम लगाने का विरोध करने वाली मायावती ने अब इसे कुछ लोगों की साजिश करार देते हुए इसे अराजकता फ़ैलाने वाला कदम बताया है. उन्होंने अपने बयान में कहा है कि प्रदर्शनकारियों के बीच कुछ अराजक तत्वों ने ये सब किया है.
वही देश के हालात कि बात करे तो -
मप्र- भिंड में एक और मौत हुई
देश में अब तक कुल तीन मौतों की खबर है.
मप्र- ग्वालियर में हाला बेकाबू है.
मप्र- ग्वालियर में बंद के दौरान उपद्रवियों का हंगामा,
ग्वालियर -उपद्रवियों ने मुरार और गोले का मंदिर इलाके में गाड़ियों में लगाई आग,
ग्वालियर -स्कूल बस सहित करीब आधा दर्जन वाहनों को जलाया,
सुरक्षाकर्मियों ने आंसू गैस छोड़े - उप नगर मुरार और गोले का मंदिर इलाके में लोगों में खौफ
मध्यप्रदेश के मुरैना मे एक युवक की हिंसा के दौरान गोली लगने से मौत हो गई है.
बिहार के अररिया, सुपौल, मधुबनी, दरभंगा, जहानाबाद और आरा में भीम सेना के रेल रोकी और सड़कों पर जाम लगा दिया.
ओडिशा के संभलपुर में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन रोक दी हैं.
पंजाब के अमृतसर में सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है और भारी संख्या में सुरक्षाबल तैनात है.
इस बंद का आह्वान दलित संगठन संविधान बचाओ संघर्ष समिति ने किया था. जिसके बाद दूसरे संगठन भी इसमें शामिल हो गए.
इसके आलावा दिल्ली,बिहार, उड़ीसा, मध्यप्रदेश , गुजरात, छत्तीसगढ़ और भी देश के कई राज्य आज सोमवार को SC/ST एक्ट के खिलाफ दलित और आदिवासी संगठनों के भारत बंद के आह्वान की आग मे जल रहे है.
जलता झुलसता भारत आज हिंसा, तनाव, आगजनी, गोली बारूद, और सियासी रंजिशों को सह रहा है. आज भारत की धारा रक्त रंजित हो रही है. देश के हर कोने से चीख पुकार आ रही है, मगर वो सिर्फ उन कानों तक दस्तक दे रही है जिनमे अभी खुदगर्जी की रुई नहीं ठुसी गई है.वर्ना दर्द का दिल तक पहुंचना तो कब से बंद हो गया है. खबरों की माने तो कुछ तो ऐसे भी है जो इन चीखो के बीच भी फ़ायदे और नुकसान का गणित बिठाने में लगे है. देश यु भी दशकों से जल रहा है, हर बार कारण बदल जाते है. इस बार SC - ST एक्ट ने कारण की भूमिका निभाई है. SC - ST एक्ट खुद कुछ नहीं कर रहा वो तो एक निर्जीव लिखित कानून है जिसे मुद्दे का मूर्त रूप देकर ये सब रचा जा रहा है.
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