पटना: सासाराम-नालंदा में हुई सांप्रदायिक हिंसा का मुद्दा आज सोमवार (3 अप्रैल) को बिहार विधानसभा में गूंजा, जिस पर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई। सदन के बाहर भी भाजपा ने नीतीश सरकरा को निशाने पर लिया और सासाराम-नालंदा की घटनाओं को सरकार की साजिश बताया। इसके साथ ही भाजपा ने हिंसा के पूरे मामले की जांच NIA से कराने की मांग की है।
भाजपा MLA हरिभूषण ठाकुर बलौच ने कहा है कि रामनवमी से पहले जो शांति समिति की मीटिंग हुईं थी। उनके वीडियो जारी किए जाएं। शोभायात्रा की समिति पर जुलूस ना निकालने का दबाव डाला गया था। उसके बावजूद शांति पूर्ण तरीके से जुलूस निकला। मगर, सरकार की तुष्टिकरण की सियासत कि वजह से सासाराम और नालंदा में हिंसक घटनाएं देखने को मिली। बलौच ने कहा कि तुष्टिकरण की सियासत देश को एक और बंटवारे की तरफ ले जाएगी। हम सदन से सड़क तक आवाज उठाएंगे। बिहार कट्टरपंथी संगठन PFI का अड्डा बनता जा रहा है। सासाराम-नालंदा की घटना का दूध का दूध और पानी का पानी हो। इसके लिए हमारी मांग है कि इस पूरे मामले की जांच NIA को दी जाए।
वहीं बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता तार किशोर प्रसाद ने भी नीतीश सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होने कहा कि सीएम नितीश कुमार से एक जिला नालंदा संभल नहीं रहा है। तो सासाराम और भागलपुर की बात छोड़ दी दीजिए। सासाराम और नालंदी की घटना सरकार की नाकामी का नतीजा है। कानून व्यवस्था को लेकर जो समीक्षा बैठक कल हुई, वो पहले क्यों नहीं की गई।
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