हाल ही में भारत पहुंची इंग्लैंड टीम के खिलाफ पांच मैचों की श्रृंखला में भारत की कप्तानी का दायित्व निभा रहे विराट कोहली के लिए 2014 का इंग्लैंड दौरा भले ही एक बुरे सपने जैसा साबित हुआ हो लेकिन इसी दौरे के बाद कोहली भारतीय बल्लेबाजी के 'विराट' खिलाडी बनकर उभरे.
उल्लेखनीय है कि 2014 के इंग्लैंड दौरे में इंग्लैंड की स्विंग और उछाल लेती पिचों पर विराट बुरी तरह विफल हुए थे. कहते है ना कि जब किसी चीज से सबक सीख लिया जाता है तो फिर सफलताएं खुद चलकर आती है. ऐसा ही कुछ विराट के साथ हुआ. सिर्फ दो साल बाद ही उनकी गिनती दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में होने लगी है.
बता दें कि विराट 2014 के उस इंग्लैंड दौरे को कभी भुला नहीं सकते. यहां उनकी बल्लेबाजी का दयनीय प्रदर्शन हुआ था. इंग्लैंड दौरे में विराट ने नॉटिंघम में 'एक' और 'आठ', लॉडर्स में '25' और '0', साउथम्पटन में '39' और '28', मैनचेस्टर में '0' और '07' और ओवल में 'छह' और '20' रन बनाए थे.
इसके बाद वनडे सीरीज में विराट ने '0', '40', 'एक' और '13' रन ही बना पाए थे. इससे उनकी काबिलियत पर सवाल उठने लगे, लेकिन टेस्ट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने इस युवा बल्लेबाज का लगातार समर्थन करते हुए कहा कि उन्हें सिर्फ एक अच्छी पारी की जरूरत है. धोनी का ये भरोसा इंग्लैंड से लौटने के बाद वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू सीरीज में देखने को मिला.
इसके बाद विराट ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.ऑस्ट्रेलिया, वेस्ट इंडीज, दक्षिण अफ्रीका 19 टेस्टों में दो दोहरे शतक सहित सात शतक ठोक डाले जबकि इससे पहले तक 29 टेस्टों में उन्होंने सिर्फ छह शतक बनाए थे. इंग्लैंड दौरे के बाद वनडे मैचों में भी विराट ने सात शतक बनाए. इस तरह विराट ने उस दौरे के बाद टेस्ट और वनडे में दो साल के अंदर कुल 14 शतक जड़े हैं. उम्मीद है कि 09 नवंबर से इंग्लैंड के खिलाफ शुरू हो रही टेस्ट सीरीज में भी विराट उम्दा प्रदर्शन करेंगे