रांची : दुनिया भर में कई दिवस मनाये जाते हैं ऐसे ही 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है. इसी तारीख को लगभग सभी जगह आदिवासी दिवस का आयोजन किया जाता है जिसका चलन तेजी से बढ़ रहा है. ये खास तौर पर झारखण्ड में ज्यादा चल रहा है और इसमें कुछ बदलाव भी किये जा रहे हैं. इसमें क्या बदलाव हुए हैं इसके बारे में विस्तार में जानकारी दे देते हैं.
9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस का चलन बढ़ गया है और आदिवासी के अधिकार को लेकर कई जनसंगठन 9 अगस्त को बड़े आयोजन का विचार कर रही है. वहीं नेतरहाट फील्ड फायरिंग विरोधी केंद्रीय जनसंघर्ष समिति ने इसी को आदिवासी अधिकार दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया है. वहां के एक संगठन का कहना है कि कुछ वर्षों से आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों पर हमला तेजी से बढ़ा है जिससे उनके अधिकार कुछ कम होते दिखाई दे रहे हैं. इसी के लिए संगठन आदिवासी दिवस को आदिवसी अधिकार दिवस के रूप में मनाया जायेगा.
इसके अलावा नेतरहाट फील्ड फायरिंग 9 अगस्त को इसका आयोजन करेगा. उनका मानना है कि फायरिंग रेंज, टुडरमा डैम, बॉक्साइट खनन, व्याघ्र परियोजना एवं वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर से होने वाली विस्थापना से इस संगठन को बचाना है और इसी से बचाने के लिए ये बड़ा फैसला लिया गया है.
संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इस वर्ष 'विश्व अदिवासी दिवस' का मुख्य थीम 'पलायन एवं विस्थापन' रखा है यानी उनके जीवन में जो परेशानी आ रही हैं उन्हें खत्म करने के लिए इसकी थीम ये रखी गई है. वहीं आदिवासी को कई परेशानी झेलनी पड़ रही है जिससे उन्हें लड़ना ही होगा और उनके हौसले को बढ़ाने के लिए ये दिवस मनाया जा रहा है. विश्व आदिवासी दिवस भारत के भी कर क्षेत्रों में मनाया जाता है और विदेशों में उसे खास तौर पर अपनी जाति को बचाने के लिए इसे मनाते हैं.
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