ब्रह्मांड के सबसे पहले वास्तुकार, इंजीनियर भगवान विश्वकर्मा को माना जाता है और उनकी जयंती हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है जो आज है। आप सभी को बता दें कि इस दिन लोग कारखानों और दुकानों में मशीनों की पूजा करते हैं। आप तो जानते ही होंगे भगवान विश्वकर्मा की जयंती पूरे देश में मनाई जाती है हालाँकि कर्नाटक, असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, त्रिपुरा में बड़े पैमाने पर मनाई जाती है। जी दरसल ऐसा माना जाता है कि गुरु विश्वकर्मा की पूजा करने से इंसान के कारोबार में हमेशा वृद्धि होती रहती है और कभी भी उसमें कोई विघ्न नहीं आता है।
क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त- पूजा के लिए तीन शुभ मुहूर्त हैं लेकिन विश्वकर्मा भगवान की पूजा आप दिन में कभी भी कर सकते हैं क्योंकि जंयती पूरे दिन रहेगी।
पहला मुहूर्त: 17 सितंबर 2022 को 07:39 AM - 09:11 AM
दूसरा मुहूर्त: 17 सितंबर 2022 को 01:48 PM - 03:20 PM
तीसरा मुहूर्त - 17 सितंबर 2022 को 03:20 PM - 04:52 PM
अमृत सिद्धि योग - 17 सितंबर 2022 को 06:13 AM - 12:21 PM
द्विपुष्कर योग - 17 सितंबर 2022 को 12:21 PM- 02:14 PM
विश्वकर्मा भगवान की आरती-
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा॥
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में,ज्ञान विकास किया ॥
ऋषि अंगिरा ने तप से,शांति नही पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का,सकल सिद्धि आई॥
रोग ग्रस्त राजा ने,जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर,दूर दुख कीना॥
जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना,विपत्ति हरी सगरी॥
एकानन चतुरानन,पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज,दशभुज,सकल रूप साजे॥
ध्यान धरे जब पद का,सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे,अटल शांति पावे॥
श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥
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