दुनियाभर में कई लोग हैं जो अपनी हथेली में विवाह रेखा देखते हैं और उससे अपने विवाह के बारे में जानना चाहते हैं. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं विवाह रेखा के बारे में, वह कहाँ होती है और उससे आप कैसे अपने विवाह के बारे में जान सकते हैं. आइए जानते हैं.
हथेली में कहां होती है विवाह रेखा : आपको बता दें कि कनिष्ठा अंगुली के नीचे और हृदय रेखा के ऊपर बुध पर्वत पर उपस्थित आड़ी रेखा को विवाह रेखा कहते हैं और हथेली में विवाह रेखाओं की संख्या 4 तक हो सकती है. कहा जाता है इनमें से एक रेखा ही सर्वाधिक पुष्ट एवं लंबी पाई जाती है.
विवाह रेखा की स्थिति:
1. कहते हैं अगर यह रेखा छोटी और हल्की है तो व्यक्ति को अपने रिश्तों की परवाह नहीं है और कमजोर रेखा अल्प समय के लिए प्रेम संबंध होना व्यक्त करती है.
2. कहा जाता है हाथ में विवाह रेखा का चौड़ा होना विवाह के प्रति कोई उत्साह नहीं होने का संकेत है.
3. कहते हैं विवाह रेखा अंत में कई भागों में बंट जाए तो अत्यंत दुखी दांपत्य जीवन होता है.
4. अंत में दोमुंही विवाह रेखा भी दांपत्य जीवन को कलहयुक्त बना देती है.
5. दोमुंही विवाह रेखा की एक शाखा हृदय रेखा को स्पर्श करे तो जातक का प्रेम संबंध उसकी साली से हो जाता है और रेखा की ऐसी स्थिति यदि स्त्री के हाथ में हो तो उसका संबंध देवर या जेठ से हो सकता है.
6. विवाह रेखा के उदय पर द्वीप का चिन्ह वैवाहिक सुख में विघ्न डाल देता है.
7. विवाह रेखा में झुकाव हो और उस झुकाव पर क्रॉस बना हो तो पति या पत्नी की आकस्मिक मृत्यु हो जाती है.
8. अगर विवाह रेखा पर काला धब्बा हो तो जातक को पत्नी सुख का अभाव होता है.
9. अगर यह रेखा गहरी और लंबी हो तो व्यक्ति अपने रिश्तों को महत्व देता है और प्रेम सच्चा होता है.
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