लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण के बीच आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा विशाखापट्टनम में एलजी पॉलिमर संयंत्र में गैस लीकेज की घटना के कारणों की जांच के लिए बनाई गई हाई पॉवर कमेटी में चार और लोगों को शामिल किया गया है. आंध्र प्रदेश सरकार के 9 जून के एक आदेश के अनुसार, 8 मई को गठित समिति को अपनी रिपोर्ट देने के लिए 22 जून तक का समय दिया गया है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि 7 मई को हुए इस गैस लीक हादसे में 12 लोगों की मौत हो गई थी. इस हादसे में आसपास के गांवों के हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए थे. करीब दो दर्जन लोगों की हालत गंभीर थी. वही, सरकारी आदेश के अनुसार विशेष मुख्य सचिव (पर्यावरण एवं वन) नीरभ कुमार प्रसाद की अध्यक्षता वाली यह समिति गैस रिसाव के जवाब में उठाए जा रहे कदमों का भी जायजा लेगी. समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार समिति में नामित किए गए भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के चार तकनीकी विशेषज्ञों में केंद्रीय प्लास्टिक इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान (CIPET) के महानिदेशक एस के नायक, सीपीसीबी के क्षेत्रीय निदेशक भारत कुमार शर्मा, डीजीएफएएसएलआइ के महानिदेशक आर के इलांगोवन और और आइआइपी देहरादून के निदेशक अंजन रे शामिल हैं.
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इसके अलावा कृत्रिम रबर बनाने में इस्तेमाल होने वाली गैस स्टीरीन के प्रभाव में आने से लोगों को सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ा. राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की थी. यह हादसा तड़के ढाई बजे के आसपास हुआ था. तब लोग सो रहे थे और आंख खुलने से पहले वे इसके प्रभाव में आ गए थे. गैस तेजी से आसपास के इलाकों में फैली. इस कारण से लोग नींद में ही बेहोश हो गए थे. जानवर और पक्षियों पर भी इसका प्रभाव पड़ा था. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने गैस रिसाव से हुए नुकसान के लिए एलजी पॉलिमर को 50 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिए थे.
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