शिमला : कहते हैं कि जब वक्त ख़राब होता है तो साया भी साथ छोड़ देता है. ऐसे ही हालातों से हिमाचल के सीएम वीरभद्रसिंह गुजर रहे हैं. आय से अधिक संपत्ति का मामला, कोटखाई गैंगरेप केस की काली छाया और अपनी बढ़ती उम्र के साथ अपने राजनीतिक जीवन की आखिरी पारी में कुछ बातें उनके मनमाफिक नहीं होने से वे नाराज हैं. यदि उनकी मांगे नहीं मानी गई तो उनके बगावत करने के पूरे आसार हैं.
गौरतलब हैं कि इन दिनों इन दिनों दिल्ली में डेरा जमाए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्रसिंह की ग्रह दशा ठीक नहीं चल रही हैं. पार्टी के वर्तमान 35 विधायकों का समर्थन लेकर गए, लेकिन दिल्ली पहुंचते ही उनकी संख्या घटकर मात्र 14 ही रह गई. दरअसल वीरभद्र सिंह आने वाले चुनावों से पहले अपने लिए पार्टी की खुली आजादी चाह रहे हैं. ताकि आने वाले चुनावों में उन्हें मनमाफिक टिकट बाँट सके. उनकी चिंता अपने बेटे के राजनीतिक भविष्य को लेकर भी है. वीरभद्र सिंह इस बार उन्हें और उनके बेटे के लिए टिकट मांग रहे हैं. उनकी पत्नी पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह भी दावेदारी जता रही हैं. वे प्रदेश अध्यक्ष सुक्खू का दखल नहीं चाहते हैं. अहमद पटेल से हुई मुलाकात में उन्होंने कह दिया है कि चुनावों से पहले यदि बदलाव नहीं होता है तो वो ना तो चुनाव लड़ेंगे, ना ही कोई रणनीति तैयार करेंगे, हां लेकिन प्रचार के लिए उपलब्ध रहेंगे. उन्होंने राज्य प्रभारी सुशील शिंदे से फोन पर बात की. उनका हिमाचल दौरा सितंबर के पहले हफ्ते में शुरू होगा.
बता दें कि इन दिनों कांग्रेस के यह वरिष्ठ नेता राज्य इकाई के व्यवहार से दुखी हैं. उनके खिलाफ पार्टी के लोग ही बयानबाजी करते हैं. जानबूझकर नीचा दिखाने के लिए वरिष्ठता को नजरअंदाज किया जाता है. यहां तक की नियुक्तियों में भी उनकी सहमति नहीं ली जाती, जबकि हाइकमान ने भी समन्वय बिठाकर आगे बढ़ने के निर्देश दे रखे हैं. वीरभद्र सिंह की मांगों पर विचार के लिए फ़िलहाल राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों यात्रा पर हैं. ऐसे में उनके राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल हाइकमान को क्या सलाह देते हैं, ये तो वक्त बताएगा. लेकिन इनकी मांगों को अनसुना किये जाने पर बगावत के स्वर बुलंद होने से इंकार नहीं किया जा सकता.
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