नई दिल्ली : मोदी मंत्रिमंडल का कल रविवार को विस्तार हो गया, लेकिन मंत्रिपरिषद् के इस पुनर्गठन में सहयोगी दलों जेडीयू औरअन्नद्रमुक को जगह नहीं मिलने पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. 2019 लोकसभा चुनाव से पहले कैबिनेट में हुए इतने बड़े बदलाव के बाद भी सहयोगी दलों के सदस्यों को क्यों शामिल नहीं किया गया,यह बात राजनीतिक गलियारों में जोरों से उठ रही हैं.हालाँकि कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी अपने मंत्रिमंडल में एक बार फिर विस्तार कर सकते हैं, क्योंकि छह और मंत्रियों को शामिल किए जाने की गुंजाइश अभी भी बनी हुई है.
यदि मंत्रिमंडल के गणित को समझें तो लोकसभा में सत्ताधारी गठबंधन की सहयोगी पार्टियों की कुल शक्ति का 15 प्रतिशत तय है, इस हिसाब से एक और विस्तार किया जा सकता है. मोदी मंत्रिमंडल में फिलहाल 75 मंत्री हैं, जिनमें 27 कैबिनेट मंत्री, 11 स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री और 37 राज्यमंत्री. संवैधानिक सीमा कुल 81 मंत्री रखने की अनुमति देती हैं. अर्थात छह मंत्रियों को बनाए जाने की अभी भी संभावना बनी हुई हैं.
उल्लेखनीय हैं कि राजनीतिक गलियारों में अब भी यह कयास लगाया जा रहा है कि जल्द ही अगले मंत्रिमंडल विस्तार में पुनः राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल हुए नीतीश कुमार के जनता दल (युनाइटेड) और तमिलनाडु में सत्तारूढ़ ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) को प्रतिनिधित्व देते हुए कुछ मंत्री बनाए जा सकते हैं, क्योंकि पीएम मोदी अपने मंत्रिमंडल में 81 मंत्री रख सकते हैं.
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