सेंट्रल गवर्मेंट ने कहा है कि वोडाफोन केस में इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन कोर्ट का आदेश उसके सॉवरेन कर पर अधिकार का अतिक्रमण करता है। यह अस्वीकार्य है तथा आर्डर को तत्काल निर्धारित नहीं किया जा सकता है। केस में सूत्रों ने कहा कि गवर्मेंट उस आर्डर को चुनौती दे सकती है, जिसमें भारत-नीदरलैंड्स द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौते का उल्लंघन हुआ है। एक सीनियर ऑफिसर ने कहा कि कानूनी राय के आधार पर आखिरी विचार किया जाना अभी शेष है।
हालांकि एक सूत्र ने कहा कि भारत पूर्वव्यापी कराधान के विरुद्ध है। द्विपक्षीय निवेश समझौता इन्वेस्टमेंट के संरक्षण तथा सुविधा के लिए है। टैक्स पालिसी से इसका कोई ताल्लुक नहीं है। एक अन्य ऑफिसर ने संकेत दिया कि सरकार सिंगापुर हाई कोर्ट में आदेश को चुनौती दे सकती है। ध्यान हो कि बीते माह ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी वोडाफोन को इंडिया गवर्मेंट के साथ उसके पुराने टैक्स विवाद केस में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत में जीत प्राप्त हुई थी।
वही यह केस कंपनी से 22,100 करोड़ रुपये की टैक्स डिमांड से जुड़ा है। अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने व्यवस्था दी थी कि भारत की पिछली दिनांक से टैक्स की डिमांड करना दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौते के तहत निष्पक्ष व्यवहार के विरुद्ध है। ब्रिटिश कंपनी ने एक स्टेटमेंट में कहा, 'वोडाफोन इस बात की पुष्टि करती है कि निवेश संधि न्यायाधिकरण ने केस वोडाफोन के पक्ष में पाया। यह सामान्य मंजूरी से लिया गया फैसला है जिसमें भारत द्वारा नियुक्त मध्यस्थ रोड्रिगो ओरेमुनो भी सम्मिलित हैं।'
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