लंदन: भारत के चुनावों में आपने अनुच्छेद 370 को मुद्दा बनते देखा होगा, जो कश्मीर को एक अलग संविधान देता था, जिसके तहत दलितों को विधानसभा चुनावों और दूसरे स्थानीय चुनावों में वोट देने का अधिकार नहीं था। दलित समुदाय के बच्चे कितना भी पढ़ लें, उनके लिए केवल सफाईकर्मी की ही नौकरी थी, क्योंकि, दलित समुदाय को आज़ादी के 70 साल बाद भी कश्मीर की नागरिकता ही नहीं मिली थी, वहीं कोई पाकिस्तानी अगर कश्मीरी लड़की से शादी कर लेता था, तो वो भारतीय कश्मीर का नागरिक बन जाता था, इससे घाटी में आतंकवाद भी बढ़ रहा था। भाजपा शुरू से इसके खिलाफ थी और सत्ता में आने के बाद उसने इसे हटाकर दलितों को अधिकार भी दिलाए, कांग्रेस इसे हटाने के विरोध में थी और सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई के बाद इसे हटाने का फैसला सही माना गया। ये मुद्दा चुनावों में जमकर उछला, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने तो एक बयान में यहाँ तक वादा कर दिया था कि, अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो 370 फिर से लागू करेगी। हालाँकि, आपको ये जानकर हैरानी होगी कि कश्मीर का मुद्दा केवल भारतीय चुनाव में ही नहीं, बल्कि ब्रिटेन के चुनाव में भी काम करता है, इसके पीछे कारण हैं मुस्लिम वोट।
दरअसल, भारत में भी मुस्लिम समुदाय 370 हटाने का विरोध करता है और कश्मीर की आज़ादी की बात करता है, JNU में फ्री कश्मीर के पोस्टर कई बार देखे जा चुके हैं। अब जिन राजनितिक दलों का मुख्य वोट बैंक मुस्लिम समुदाय है, वो भी इस बात का समर्थन करते हैं, जैसे कांग्रेस, जो 370 हटाने के पुरजोर विरोध में थी। अब ब्रिटेन में भी कश्मीर की आज़ादी के नाम पर वोट मांगे जा रहे हैं, क्योंकि जिस तरह फिलिस्तीन मुद्दे पर अधिकांश मुस्लिम एकजुट हैं, उसी तरह कश्मीर पर भी मुस्लिम समुदाय का रुख तटस्थ है। 17 जुलाई (स्थानीय समय) को कंजर्वेटिव पार्टी के नेता मार्को लोंगी का एक चुनावी पर्चा सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने भारत विरोधी रुख का प्रचार किया। पर्चे में उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में रहने वाले मुसलमानों से आग्रह किया कि वे उन्हें वोट दें ताकि वे ब्रिटेन की संसद में कश्मीर “आज़ादी” का मुद्दा उठा सकें।
STATEMENT FROM RAJESH AGRAWAL
— Rajesh Agrawal (@RajeshAgrawal) June 17, 2024
"This is a shameful attempt to divide communities and is offensive to both muslim and hindu communities. There should be zero tolerance of the dog-whistle politics Mr Longhi is engaged in. (1/2) pic.twitter.com/gwtY5VzFxE
डुडले में ब्रिटिश पाकिस्तानी और अन्य मुस्लिम समुदाय के मतदाताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने उन्हें ईद-अल-अज़हा की शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने बताया कि भारत में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) फिर से चुनी गई है, जिसका मतलब है कि आने वाले महीनों में "कश्मीर के लोगों के लिए कठिन समय" होगा। पर्चे में लिखा था कि, "नरेंद्र मोदी ने हाल ही में यह स्पष्ट किया है कि वह कश्मीर के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा देने जा रहे हैं, जिसका मतलब होगा कि कश्मीरियों के किसी भी संप्रभु अधिकार और उनकी विशेष स्थिति को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा।"
उन्होंने कहा कि वह 2019 में सांसद चुने गए थे और तब से वह "कश्मीर के लोगों के प्रति भारत सरकार के अत्याचारों" के बारे में मुखर रहे हैं। पर्चे में आगे लिखा है कि, "मेरी भागीदारी को अच्छी तरह से प्रचारित किया गया है और मैंने कई कश्मीर कार्यक्रमों में भाग लिया है। मैंने हमेशा कश्मीर में भारत की निरंतर अवैध कार्रवाइयों की निंदा की है।" इसके बाद उन्होंने लेबर पार्टी की संसदीय उम्मीदवार सोनिया कुमार के नाम को विशेष रूप से रेखांकित किया और उनके उपनाम को लेकर निशाना साधा, यहां तक कि उनके उपनाम को बड़े अक्षरों में हाईलाइट किया। पर्चे में लिखा था कि, "मैं यह फैसला आप पर छोड़ता हूं। अगर आप मुझे वोट देते हैं, तो मैं आपसे वादा करता हूं कि मैं संसद में कश्मीर के लिए अपनी आवाज और भी बुलंद करूंगा और संसद में कश्मीरियों के लिए खड़े होने में सबसे आगे रहूंगा।"
लीसेस्टर ईस्ट में लेबर संसदीय उम्मीदवार राजेश अग्रवाल ने लोंगी द्वारा जारी किए गए पर्चे की निंदा की और कहा, "यह समुदायों को विभाजित करने का एक शर्मनाक प्रयास है और मुस्लिम और हिंदू दोनों समुदायों के लिए अपमानजनक है। लोंगी जिस तरह की राजनीति कर रहे हैं, उसके लिए बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।" उन्होंने यूनाइटेड किंगडम (UK) के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से, जो कंजर्वेटिव पार्टी से आते हैं, लोंगही के अभियान के लिए समर्थन तुरंत वापस लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि, "ऋषि सुनक को पार्टी से पहले देश को प्राथमिकता देनी चाहिए और लोंगी के अभियान के लिए अपनी पार्टी का समर्थन तुरंत वापस लेना चाहिए और ब्रिटिश भारतीयों को अलग-थलग करने के प्रयास के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए।"
दूसरी ओर, मार्को लोंगी ने पर्चे का बचाव करते हुए कहा कि वह बस "अपने निर्वाचन क्षेत्र में अपने कश्मीरी समुदाय का मुखर समर्थन कर रहे थे"। उन्होंने आगे तर्क दिया कि डुडले में बहुत ही मिश्रित समुदाय है और वह बहुत से लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा, "अतीत में उनमें से कई लोगों ने मुझसे कहा है कि वे कश्मीर में जो कुछ हो रहा है, उससे बहुत चिंतित हैं।"
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह पर्चा "राजनीति" का हिस्सा है, "यह राजनीति है, है न? क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को चाहते हैं, जो लगातार कश्मीरियों का समर्थन करता रहा है, जहाँ मानवाधिकारों का हनन हुआ है या आप सोनिया कुमार नामक किसी ऐसे व्यक्ति को चाहते हैं जिसके बारे में किसी ने कभी सुना ही न हो? मुझे नहीं लगता कि मेरे लिए अपने कश्मीरी समुदाय के सदस्यों के सामने इस बात को उजागर करना कोई समस्या है।" जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने कुमार के उपनाम को क्यों उजागर किया, तो उन्होंने कहा, "उनके पास सिर्फ़ स्टारमर का एक पर्चा है। मैं चाहता हूँ कि लोग जानें कि मैं स्टारमर के खिलाफ़ नहीं खड़ा हूँ, मैं कुमार के खिलाफ़ खड़ा हूँ।" लोंगी ने आगे दावा किया कि वह केवल व्यापक समुदायों के भीतर एक समूह का प्रतिनिधित्व कर रहे थे और यह विशेष रूप से कश्मीरियों का प्रतिनिधित्व कर रहा था। सोनिया कुमार ने पर्चे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
प्रियंका गांधी के पीछे रॉबर्ट भी संसद में जाएंगे ! अपनी उम्मीदवारी पर वाड्रा ने दिया बड़ा संकेत
गन्ने के जूस में थूक मिलाकर पिलाने वाले शाहेब आलम और जमशेद खान गिरफ्तार, थूक मसाज के बाद एक और मामला