'वक्फ बोर्ड चोर है..' - इंदौर में 100 करोड़ की जमीन का मामला

'वक्फ बोर्ड चोर है..' - इंदौर में 100 करोड़ की जमीन का मामला
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इंदौर: मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के निपानिया में कोकिलाबेन अस्पताल के सामने एडवांस स्कूल के बगल स्थित सर्वे नंबर 170 की 0.560 हेक्टेयर की जमीन को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। शाह परिवार ने दावा किया है कि यह जमीन होलकर रियासत के समय से उनकी है और यह वक्फ बोर्ड की संपत्ति नहीं है, इसलिए वक्फ बोर्ड का दावा गलत है।

शाहिद शाह ने बताया कि यह जमीन पिछले 253 साल से शाह परिवार की है और साल 1930 में होलकर रियासत ने इसे माफी भूमि के रूप में मान्यता दी थी। हालांकि, 18 मार्च 1968 को वक्फ बोर्ड ने इसे अपनी भूमि के रूप में घोषित कर दिया और भूमि क्रमांक 25 के तहत दर्ज किया। इसके खिलाफ शाह परिवार ने वक्फ ट्रिब्यूनल में अपील की, और वहां से दावा खारिज होने के बाद हाईकोर्ट इंदौर में भी मामला दायर किया। मार्च 2013 से परिवार को इस जमीन पर स्टे मिला हुआ है, जो अभी भी कायम है। शाहिद शाह ने आरोप लगाया कि वक्फ बोर्ड ने गलत तरीके से इस जमीन की लीज 25 पैसे प्रति वर्गफुट पर लाइफ केयर एजुकेशन सोसायटी (एडवांस एकेडमी) को दे दी। उन्होंने साफ़ लफ़्ज़ों में कहा कि वक्फ बोर्ड चोर है, ये जमीन हमारे परिवार की है। 

शाह परिवार का कहना है कि लीज के बावजूद, वक्फ के तत्कालीन अध्यक्ष अनवर खान और अन्य अधिकारियों ने निगम अधिकारियों के साथ मिलकर जमीन के कब्जे को लेकर लेन-देन किया। लीज को बाद में वक्फ के नए अधिकारियों द्वारा निरस्त कर दिया गया, और जून 2024 में वक्फ बोर्ड ने सूचना जारी कर इसे सोहेल खान को लीज पर दे दिया। शाहिद शाह ने यह भी आरोप लगाया कि सोहेल खान ने अपने पारिवारिक मित्र नासिर खान से मदद मांगी, लेकिन जब नासिर ने मदद करने से इंकार कर दिया, तो जिला वक्फ कमेटी के अध्यक्ष रेहान शेख, सचिव साजिद रायल, पूर्व अध्यक्ष वकील पठान और कांग्रेस पार्षद रूबीना खान के पुत्र शहनवाज खान ने उन्हें धमकाया और एक करोड़ रुपये का ऑफर दिया ताकि जमीन छोड़ दी जाए। शाह परिवार का कहना है कि जमीन पर भूमाफियाओं की नजर है और कानूनी रूप से यह जमीन उनके ही कब्जे में है।

जिला वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रेहान शेख को हटा दिया गया है। उनके खिलाफ शिकायत मिली थी कि उन्हें आपराधिक मामलों में सजा हुई है। रेहान ने कहा है कि वह इस मामले में स्टे लेने की कोशिश करेंगे। उन्हें पिछले साल अध्यक्ष बनाया गया था और बोर्ड में उनके खिलाफ दो आपराधिक मामलों की शिकायत थी।

क्या है वक्फ एक्ट और इसके पास कितने अधिकार :-

वक्फ अधिनियम को पहली बार नेहरू सरकार द्वारा 1954 में संसद द्वारा पारित किया गया था। इसके बाद, इसे निरस्त कर दिया गया और 1995 में एक नया वक्फ अधिनियम पारित किया गया, जिसमें वक्फ बोर्डों को और अधिक अधिकार दिए गए। 2013 में, मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इसे असीमित अधिकार दे दिए। जिसके बाद ये प्रावधान हो गया कि अगर वक्फ किसी संपत्ति पर दावा ठोंक दे, तो पीड़ित अदालत भी नहीं जा सकता, ना ही राज्य और केंद्र सरकारें उसमे दखल दे सकती हैं। पीड़ित को उसी वक्फ के ट्रिब्यूनल में जाना होगा, जिसने उसकी जमीन हड़पी है, फिर चाहे उसे जमीन वापस मिले या ना मिले। 

 

यही कारण है कि बीते कुछ सालों में वक्फ की संपत्ति दोगुनी हो गई है, जिसके शिकार अधिकतर दलित, आदिवासी और पिछड़े समाज के लोग ही होते हैं। वक्फ कई जगहों पर दावा ठोंककर उसे अपनी संपत्ति बना ले रहा है और आज देश का तीसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक है। रेलवे और सेना के बाद सबसे अधिक जमीन वक्फ के पास है, 9 लाख एकड़ से अधिक जमीन।  लेकिन गौर करने वाली बात तो ये है कि, रेलवे और सेना की जमीन के मामले अदालतों में जा सकते हैं, सरकार दखल दे सकती है, लेकिन वक्फ अपने आप में सर्वेसर्वा है। उसमे किसी का दखल नहीं और ना ही उससे जमीन वापस ली जा सकती है। मोदी सरकार इसी असीमित ताकत पर अंकुश लगाने के लिए बिल लाइ है, ताकि पीड़ित कम से काम कोर्ट तो जा सके और वक्फ इस तरह हर किसी की संपत्ति पर अपना दावा न ठोक सके। इस बिल को विपक्ष, मुस्लिमों पर हमला बताकर विरोध कर रहा है। सरकार ने विपक्ष की मांग को मानते हुए इसे JPC के पास भेजा है, जहाँ लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सांसद मिलकर बिल पर चर्चा करेंगे और इसके नफा-नुकसान का पता लगाएंगे। 

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