देहरादून: उत्तराखंड में अब मस्जिद, दरगाह, मदरसों को भी अपनी आय तथा संपत्तियों की जानकारी देनी पड़ेगी। सीएम पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी शासित राज्य में वक्फ बोर्ड भी अब सूचना के अधिकार कानून (RTI) के दायरे में आ गया है। यह फैसला वक्फ बोर्ड के स्वामित्व वाली संपत्तियों तथा उनसे जुड़े फंडिंग के बारे में कम जानकारी होने के कारण किया गया है।
दरअसल, जुलाई 2022 में एडवोकेट दानिश सिद्दीकी ने उत्तराखंड वक्फ बोर्ड से RTI के तहत कलियर दरगाह के बारे में सूचना माँगी थी। उन्हें यह कहकर जानकारी देने से मना कर दिया गया कि पिरान कलियर में कोई लोक सूचना प्राधिकारी नहीं है। जब उन्हें प्रथम विभागीय अपीलीय अफसर से भी जानकारी नहीं प्राप्त हुई तो वे राज्य सूचना आयोग पहुँच गए। सिद्दीकी की अपील पर राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने वक्फ बोर्ड के अफसरों से पूछताछ की। उनसे वक्फ अधिनियम तथा वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण को लेकर साफ और सही जानकारी देने को कहा गया। तत्पश्चात, यह बात सामने आई कि उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अधीन होने के बाद भी कलियर शरीफ दरगाह समेत अन्य वक्फ संपत्तियों को सूचना के अधिकार से बाहर रखा गया था। सिर्फ बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अफसर ही वक्फ संपत्ति के दस्तावेजों आदि की जाँच-परख कर या करवा सकते हैं। इसके बाद सूचना आयुक्त ने इस मामले में पूर्व तथा मौजूदा मुख्य कार्यपालक अफसर से भी जवाब-तलब किया। इसके तहत पिरान कलियर दरगाह के प्रबंधन को RTI एक्ट के दायरे में लाने के आदेश दिए गए। साथ ही यहाँ लोक सूचना अफसर को भी तैनात करने को कहा गया।
वही इस मामले का निपटारा करते हुए राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने अन्य सभी वक्फ बोर्ड तथा वक्फ संपत्तियों को भी RTI एक्ट के दायरे में लाने का आदेश दिया। 6 माह के भीतर RTI एक्ट की धारा-4 के तहत मैनुअल बनाने का निर्देश दिया। आयोग के कड़े बर्ताव के पश्चात् उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने वक्फ संपत्तियों को RTI एक्ट में दायरे में लाने के आदेश दिया है। प्रदेश में तकरीबन 2200 वक्फ संपत्तियाँ वक्फ बोर्ड में पंजीकृत हैं। इस फैसले को लेकर जमीयत उलेमा ए हिंद के मौलाना काब रशीदी ने बताया कि धर्म के आधार पर कानून में किसी के साथ पक्षपात नहीं होना चाहिए। यदि मस्जिद, दरगाह एवं मदरसों को इसके तहत लाया गया है तो फिर गुरुकुल तथा मंदिरों सहित सभी धर्म के धार्मिक स्थलों को भी इस कानून के तहत लाना चाहिए। सिर्फ किसी एक धर्म के लिए कानून लाया जाना गलत है तथा यह संविधान के खिलाफ है।
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