हैदराबाद: केंद्र सरकार द्वारा वक्फ बोर्ड की मनमानी पर रोक लगाने के लिए लाए गए वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के बाद वक्फ बोर्ड की ओर से जमीनों पर दावा करने के मामलों में और अधिक तेजी आ गई है। ऐसा लगता है कि वो संशोधन से पहले अधिक से अधिक जमीन हड़पना चाहता है, और ये मामले अधिकतर कांग्रेस शासित राज्यों से सामने आ रहे हैं।
ताजा मामला तेलंगाना के मेडचल मलकाजगिरी जिले का है, जहां वक्फ बोर्ड ने 750 एकड़ जमीन पर अपना हक जताया है। मलकाजगिरी के विभिन्न इलाकों, जैसे मौलाली, आरटीसी कॉलोनी, शफी नगर, तिरुमाला नगर, भारत नगर, एनबीएच कॉलोनी, ईस्ट काकतीय नगर, ओल्ड सफिलगुडा, न्यू विद्यानगर, राम ब्रह्म नगर, श्री कृष्ण नगर और सीताराम नगर में वक्फ बोर्ड ने जमीन पर अपना दावा पेश किया है।
इस कदम से वहां रहने वाले हजारों लोगों के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है। वे अपनी जमीनों पर निवास-खेती और अन्य कार्य करते आ रहे थे, लेकिन अब अचानक वक्फ बोर्ड द्वारा दावे के बाद वे हैरान और चिंतित हैं। राज्य के पंजीकरण विभाग ने इन 100 से अधिक सर्वेक्षण नंबरों पर स्थित संपत्तियों की खरीद-फरोख्त पर भी रोक लगा दी है। मलकाजगिरी जिले के डिप्टी रजिस्ट्रार श्रीकांत के अनुसार, वक्फ बोर्ड ने 750 एकड़ जमीन को अपनी संपत्ति के रूप में दर्ज करवा लिया है और पंजीकरण विभाग ने इसे वक्फ के नाम पर रजिस्टर भी कर दिया है।
इस घटना पर लोगों ने नाराजगी जाहिर की है और इसे वक्फ बोर्ड की अवैध हरकत बताते हुए कहा कि यह उनके अधिकारों का हनन है। कई लोगों का आरोप है कि वक्फ बोर्ड इस तरह से जबरन उनकी जमीनों पर कब्जा करना चाहता है। राज्य की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने भी इस मुद्दे पर जोरदार विरोध जताया है। बता दें कि, वक्फ बोर्ड का गठन 1954 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में किया गया था। इसके बाद नरसिम्हाराव सरकार के दौरान बोर्ड को असीमित शक्तियाँ दी गईं, जिससे वक्फ बोर्ड ने कई जगहों पर जमीनों पर अपना दावा पेश करना शुरू कर दिया। वक्फ को इतनी ताकत है कि कोई अदालत या सरकार भी उसके आड़े नहीं आ सकती, सिर्फ केंद्र सरकार ही संसद में बिल पारित कर इसका निराकरण कर सकती है। लेकिन फ़िलहाल तो तमाम विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार के बिल के विरोध में हैं।
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