अलाउद्दीन खिलजी के नाम पर वक्फ ने हड़पी 90 बीघा जमीन, योगी सरकार ने छुड़ाई

अलाउद्दीन खिलजी के नाम पर वक्फ ने हड़पी 90 बीघा जमीन, योगी सरकार ने छुड़ाई
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले में हाल ही में एक महत्वपूर्ण भूमि विवाद को सुलझाया गया है, जिसमें प्रशासन ने 96 बीघा जमीन को वक्फ बोर्ड के कब्जे से मुक्त कर ग्राम समाज के नाम पर दर्ज कर दिया। यह जमीन कड़ा धाम मंदिर के पास स्थित थी, जो हिंदुओं के लिए एक पौराणिक और धार्मिक स्थल है। यह विवाद कई दशकों से चला आ रहा था, जहां जमीन पर कब्जा अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल से जोड़ा जा रहा था।

इस मामले में 1945 से लेकर 2024 तक कई बार कोर्ट में सुनवाई हुई, लेकिन हर बार अदालत ने वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज कर दिया। 1945 में सैयद नियाज अशरफ अली ने इस जमीन को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज करने के लिए मुकदमा दायर किया था। उन्होंने दावा किया कि यह जमीन अलाउद्दीन खिलजी के समय से ख्वाजा कड़क शाह के नाम पर माफीनामा के तहत दर्ज है। हालांकि, अदालत ने इस दावे को खारिज कर दिया और जमीन को ग्राम समाज के नाम पर दर्ज करने का आदेश दिया।

1952 में भी इस जमीन को आधिकारिक तौर पर ग्राम समाज के नाम पर दर्ज किया गया, लेकिन 24 साल बाद, 1974 में नियाज अशरफ ने फिर से अदालत का दरवाजा खटखटाया। इस बार भी अदालत ने वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज कर दिया। इसके बावजूद, 1979 में तत्कालीन चकबंदी अधिकारी ने इस जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया, जिससे स्थानीय निवासियों में असंतोष फैल गया। इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जिसके बाद कौशाम्बी के अपर जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम न्यायिक) को मामले की सुनवाई का आदेश मिला। एडीएम ने सभी पक्षों से सबूत मांगे, और वक्फ बोर्ड ठोस सबूत पेश करने में असमर्थ रहा। अंततः, 2 दिसंबर 2022 को एडीएम ने आदेश दिया कि यह जमीन वक्फ संपत्ति नहीं है और इसे ग्राम समाज के नाम पर दर्ज किया जाए।

इस फैसले के बाद भी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी करने में प्रशासन को लगभग डेढ़ साल का समय लगा। आखिरकार, 2024 में प्रशासन ने सभी औपचारिकताएं पूरी कर जमीन को वक्फ बोर्ड के कब्जे से मुक्त करवा लिया और अब यह जमीन आधिकारिक तौर पर ग्राम समाज के नाम पर दर्ज हो गई है। इस प्रकरण में सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि वक्फ बोर्ड ने इस भूमि पर कब्जा बनाए रखने के लिए बार-बार अदालत का सहारा लिया, लेकिन हर बार उन्हें असफलता का सामना करना पड़ा। प्रशासन की इस जीत को कानूनी और सामाजिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कौशाम्बी के जिला शासकीय अधिवक्ता शिवमूर्ति द्विवेदी ने इस मामले की पुष्टि करते हुए उत्तर प्रदेश शासन को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने प्रशासन की कार्रवाई की जानकारी दी और कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए, जिनमें से अधिकांश को शासन ने स्वीकार भी कर लिया है।

भूमि विवाद का सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव

कड़ा धाम मंदिर हिंदुओं के लिए एक पवित्र धार्मिक स्थल है, जिसका प्राचीन काल से ही धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं और यह स्थान धार्मिक पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। भूमि विवाद के समाधान से न केवल कानूनी प्रक्रिया का अंत हुआ है, बल्कि इसका बड़ा सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव भी है। इस फैसले से हिंदू समाज के लोगों को एक बड़ा संतोष मिला है, जिन्होंने इस मामले में लंबे समय से संघर्ष किया था।

वक्फ बोर्ड और तुष्टिकरण की राजनीति

इस प्रकरण के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण सवाल यह भी उठता है कि आखिर जब आजादी के बाद राजाओं से उनकी पुश्तैनी रियासतें छीन ली गईं और देश में संविधान लागू हो गया, तो फिर वक्फ बोर्ड की आवश्यकता क्यों पड़ी? क्या यह कांग्रेस द्वारा की जा रही तुष्टिकरण की राजनीति का हिस्सा नहीं था, जहां मुस्लिम समुदाय को खुश करने के लिए वक्फ बोर्ड को ऐसी शक्तियां दी गईं कि वह किसी की भी संपत्ति पर कब्जा कर सके?

वक्फ बोर्ड की स्थापना और इसके अधिकार क्षेत्र ने कई बार विवादों को जन्म दिया है, जहां यह सवाल उठता है कि क्या इसे वक्फ संपत्तियों पर विशेषाधिकार देकर मुसलमानों का वोट बैंक बनाने का प्रयास किया गया था? क्या यह तुष्टिकरण की राजनीति का सबसे बड़ा उदाहरण नहीं है, जिसमें एक समुदाय को खुश करने के बदले में आजीवन वोटों की अपेक्षा की गई?

वक्फ बोर्ड के इस प्रकार के कब्जे से कई गरीब और वंचित लोग अपनी जमीनें खो चुके हैं। क्या उनका इस देश पर कोई अधिकार नहीं था? यह सवाल उठता है कि क्या यह धीरे-धीरे भारत को फिर से इस्लामिक शासन के अधीन लाने की साजिश नहीं थी? इस प्रकार की भूमि विवाद की घटनाएं सिर्फ कानूनी लड़ाई नहीं होतीं, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की लड़ाई भी होती हैं। इस मामले में, कौशाम्बी प्रशासन ने जो निर्णय लिया, वह इस लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, जिसने न्याय और निष्पक्षता की स्थापना की।

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