आदिवासियों का असली हितैषी कौन..? जो उनकी जमीन वक़्फ़ को दे, या जो उसे बचाए

आदिवासियों का असली हितैषी कौन..? जो उनकी जमीन वक़्फ़ को दे, या जो उसे बचाए
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नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर विचार कर रही संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने हाल ही में सरकार को जनजातीय भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित करने से रोकने के लिए एक कानून लाने की सिफारिश की है। JPC ने कहा है कि आदिवासी क्षेत्रों में वक्फ बोर्ड के अधिग्रहण के मामलों ने सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों (आदिवासियों) के अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा पैदा किया है, जो अपनी धार्मिक प्रथाओं का पालन करते हैं और इस्लाम के तहत निर्धारित धार्मिक विधियों का पालन नहीं करते। 

समिति ने इसे लेकर सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग की है, ताकि इन समुदायों की भूमि पर वक्फ का नियंत्रण न हो सके। इसके अलावा, JPC ने वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने के प्रावधान को भी मंजूरी दी है, हालांकि विपक्षी सांसदों ने इस पर अपनी आपत्ति जताई थी। समिति का कहना है कि इस प्रावधान से वक्फ संपत्ति प्रबंधन में समावेशिता और विविधता बढ़ेगी। वहीं, वक्फ संपत्तियों पर किराएदारों के मामलों में सहानुभूति दिखाते हुए पैनल ने इस मुद्दे पर भी कानून बनाने की सिफारिश की है।

हालांकि, विपक्षी सांसदों ने समिति की कार्यवाही और रिपोर्ट को लेकर आलोचना की। उनका कहना था कि उन्हें केवल कुछ घंटों में 655 पृष्ठों की रिपोर्ट पढ़ने और अपनी राय देने का समय नहीं मिला। साथ ही, विपक्षी दलों ने JPC की सिफारिशों का विरोध करते हुए इसे मुस्लिम विरोधी और वक्फ बोर्ड के खिलाफ बताया। अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने समिति के फैसले पर कहा कि इस बार वक्फ का लाभ गरीबों, महिलाओं, अनाथों और हाशिए पर पड़े लोगों को मिलना चाहिए। वहीं, भाजपा सांसदों का कहना है कि इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है, ताकि निहित स्वार्थों द्वारा कानून का दुरुपयोग न हो।

वहीं, इस सिफारिश के खिलाफ AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी और अन्य विपक्षी नेताओं ने तीखी आलोचना की है। ओवैसी ने कहा कि यह विधेयक मुस्लिमों के खिलाफ है और भाजपा इसे अपनी विचारधारा के तहत लागू करना चाहती है। उनका आरोप है कि सरकार इस विधेयक के जरिए वक्फ बोर्ड पर कब्जा करना चाहती है और इसके पीछे एक सुनियोजित रणनीति है। 

अब सवाल यह उठता है कि JPC की यह सिफारिशें किसे फायदा पहुंचाएंगी ? स्पष्ट है कि जनजातीय समुदाय, वक़्फ़ के मनमाने कब्जों से महफूज़ रहेगा। किन्तु, ये बात विपक्ष को रास नहीं आ रही है, वे इस विधेयक को मुसलमानों के विरुद्ध बता रहे हैं। लेकिन यही वो विपक्ष है, जो चुनावी मौसम में दलितों-आदिवासियों का सबसे बड़ा रहनुमा होने का दावा करता है। अब समय है कि दलित-आदिवासी भी इन राजनेताओं की असलियत समझ जाएं, जो सिर्फ वोट की खातिर प्रेम जताते हैं, किन्तु उनका असली मकसद कुछ और ही है।  

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