600 ईसाई परिवारों की जमीन पर वक्फ का दावा, HC ने सरकार से माँगा जवाब

600 ईसाई परिवारों की जमीन पर वक्फ का दावा, HC ने सरकार से माँगा जवाब
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कोच्ची: केरल के मुनम्बम इलाके में लगभग 600 ईसाई परिवारों की जमीन को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। वक्फ बोर्ड ने इस जमीन पर दावा ठोकते हुए इसे अपनी संपत्ति बताया है, जबकि स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह दावा पूरी तरह से झूठा और अवैध है। इस मामले को लेकर केरल हाई कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार से जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। यह विवाद जोसेफ बेनी और अन्य सात निवासियों द्वारा दायर याचिका के बाद सामने आया।

याचिकाकर्ताओं ने अदालत में कहा कि वक्फ बोर्ड ने उनकी जमीनों पर कब्जा करने की कोशिश की है और उन्हें बेदखल करने की योजना बना रहा है। ये परिवार फारूक कॉलेज, कोझिकोड की प्रबंध समिति से यह जमीन वैध रूप से खरीद चुके हैं। हालांकि, वक्फ बोर्ड के दावे के चलते स्थानीय राजस्व अधिकारियों ने जमीन के दस्तावेजों का म्युटेशन करने से इनकार कर दिया है। 

याचिकाकर्ताओं ने वक्फ अधिनियम की धारा 14 को भी चुनौती दी है, जिसमें वक्फ बोर्ड को किसी भी ट्रस्ट या सोसायटी की संपत्ति को अपनी घोषित करने का अधिकार मिलता है। उनका तर्क है कि यह प्रावधान प्राकृतिक न्याय और निष्पक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है, और गैर-मुस्लिम संपत्तियों को वक्फ बोर्ड के दायरे में लाना गलत है। साथ ही, उनका कहना है कि वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को कब्जाधारियों को हटाने का अधिकार देना संविधान के अनुच्छेद 300ए का उल्लंघन करता है, जो नागरिकों को उनकी संपत्ति से मनमाने ढंग से बेदखल करने से बचाता है।

इस मुद्दे को लेकर विपक्ष के नेता वी.डी. सतीसन ने भी सरकार से विवाद जल्द सुलझाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि सरकार चाहे तो यह मामला तुरंत सुलझ सकता है। सतीसन ने मुनम्बम में आंदोलन कर रहे लोगों से मुलाकात की और उनकी मांगों के प्रति समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने यह भी कहा कि यह विवाद हालिया वक्फ अधिनियम से संबंधित नहीं है और पिछली यूडीएफ सरकार ने भी इसे वक्फ संपत्ति नहीं माना था।

सतीसन ने यह भी बताया कि वक्फ संपत्ति की कोई शर्तें नहीं होतीं, जबकि मुनम्बम की जमीन के दस्तावेजों में शर्तें स्पष्ट रूप से दर्ज हैं। उन्होंने कहा कि फारूक कॉलेज प्रबंधन ने जमीन का कुछ हिस्सा बेचा था, जबकि वक्फ संपत्तियों में ऐसा वित्तीय लेन-देन संभव नहीं होता। यह स्थिति स्पष्ट करती है कि यह भूमि वक्फ की नहीं हो सकती।

गौरतलब है कि वक्फ बोर्ड ने 2019 में मुनम्बम, चेराई, और पल्लिकाल के क्षेत्रों पर दावा किया था। इन इलाकों में न केवल 600 से ज्यादा परिवार रहते हैं, बल्कि अलग-अलग धर्मों के लोग भी शामिल हैं, जो 1989 से जमीन के वैध कागजात रखते हैं। इसके बावजूद वक्फ बोर्ड का यह दावा और जमीन खाली करने का आदेश उन परिवारों के संवैधानिक अधिकारों का हनन है, जिन्होंने यह संपत्ति वैध रूप से खरीदी थी।

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