जेनेवा: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने आशंका जताते हुए कहा है कि भारत में कोरोना वायरस की नई लहरें भी आ सकती हैं और महामारी के खिलाफ अगले 6-18 महीने में की गई कोशिशें बेहद महत्वपूर्ण होंगे. इसके अलावा उन्होंने कहा कि वायरस में होने वाले परिवर्तन और नए वेरिएंट्स के खिलाफ वैक्सीन की प्रभावी क्षमता जैसी कई चीजों पर भी यह डिपेंड करेगा. कई सारी चीजें बदल रही हैं. एक साक्षात्कार में उन्होंने देश में कोरोना की स्थिति, वैक्सीनेशन, दवाइयों के उपयोग जैसी चीजों पर सलाह दीं.
डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि भारत में पहली दफा पाया गया वायरस का B1.617 वेरिएंट कोविड के ओरिजिनल स्ट्रेन के मुकाबले डेढ़ या दो गुना अधिक संक्रामक है. उन्होंने कहा कि यह स्ट्रेन कोरोना के B.117 वेरिएंट (पहली बार यूके में पाया गया) से भी अधिक संक्रामक है. उन्होंने आगे कहा कि, “B1.617 वेरिएंट भी दो अलग-अलग स्ट्रेन में बंट गए है, जिनमें अलग किस्म का म्यूटेशन देखा जा रहा है. हम अभी और रिजल्ट की प्रतीक्षा कर रहे हैं. मैंने ऐसी कोई डेटा नहीं देखी है जिसमें बताया गया हो कि यह अधिक गंभीर है.”
डॉ स्वामीनाथन ने कहा कि हमारी जानकारी के मुताबिक, भारत में मौजूद वैक्सीन नए स्ट्रेन के खिलाफ अब भी काफी असरदार हैं. उन्होंने कहा कि, “यह सभी जानते हैं कि वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद भी कुछ लोग संक्रमित हुए और शायद उन्हें अस्पताल में एडमिट भी होना पड़ा. इसमें कोई शक नहीं है कि ऐसे केस सामने आएंगे क्योंकि कोई भी वैक्सीन 100 फीसदी सुरक्षा नहीं दे सकती. किन्तु दो डोज लेने वाली बड़ी आबादी संक्रमण के गंभीर खतरे से बच जाएगी. हमारा मानना है कि टीका अब भी लोगों को मजबूत सुरक्षा दे पा रहा है.”
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