नई दिल्ली: इजराइल और फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के बीच जारी संघर्ष के बीच इजराइली सेना गाजा में घुसने को तैयार है. हाल की रिपोर्टों में एक वीडियो शामिल है जिसमें बताया गया है कि कैसे हमास के आतंकवादियों ने 7 अक्टूबर को किबुत्ज़ में नरसंहार किया, हर घर में नागरिकों पर गोलीबारी की और यहां तक कि एक एम्बुलेंस को भी निशाना बनाया। विशेष रूप से, हमास आतंकवादियों के पास पर्याप्त मात्रा में उन्नत हथियार पाए गए हैं। बताया जा रहा है कि, ये हथियार हमास को ईरान की तरफ से दिए गए थे।
ऐसे में भारत के कई इस्लामिक संगठन, फिलिस्तीन के प्रति अपना समर्थन जता रहे हैं और इजराइल की जवाबी कार्रवाई का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने गाजा में इजराइली हमलों की कड़ी निंदा की है और संयुक्त राष्ट्र (UN) के माध्यम से संघर्ष के तत्काल समाधान का आह्वान किया है। बता दें कि, भारत ने आधिकारिक तौर पर हमास की कार्रवाई को इजराइल पर आतंकवादी हमला माना है. वहीं, फिलिस्तीन के समर्थन में खड़े जमीयत ने अपनी कार्य समिति की बैठक में न्याय की वकालत करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से इस मामले में हस्तक्षेप करने और समाधान करने की अपील की है।
जमीयत के अध्यक्ष और मुस्लिम वर्ल्ड लीग के संस्थापक सदस्य मौलाना अरशद मदनी ने फिलिस्तीन के संघर्ष के लिए संगठन के अटूट समर्थन पर जोर दिया है। उन्होंने इज़राइल को एक कब्ज़ा करने वाली शक्ति के रूप में चित्रित किया, जिसने बाहरी सहायता से फिलिस्तीनी क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है और इसका उद्देश्य फिलिस्तीनी नागरिकों को खत्म करना है। मदनी ने इज़रायली सेना की कार्रवाई को आक्रामक, क्रूर और दमनकारी बताया है।
बता दें कि कि जमीयत ने कोलकाता में फिलिस्तीन समर्थक मार्च का आयोजन किया था, जिसकी विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने कड़ी आलोचना की थी. मौलाना अरशद मदनी का कहना है कि, यदि इजराइली कार्रवाई पर फ़ौरन रोक न लगी, तो पूरी दुनिया युद्ध के चपेट में आ जाएगी। उन्होंने फ़िलिस्तीनी लोगों को इज़राइल के अन्यायपूर्ण कब्जे और क्रूरता के पीड़ितों के रूप में चित्रित किया, जो अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं, जबकि इज़राइल की कार्रवाइयों से भारी पीड़ा हो रही है।
गौर करने वाली ये बात है कि, फिलिस्तीन का समर्थन कर रहे तमाम मुस्लिम संगठन, कांग्रेस-AIMIM जैसे राजनितिक दल, आतंकी संगठन द्वारा इजराइल पर किए गए घातक हमले पर मौन साधे हुए हैं। इन लोगों को न हमास द्वारा महिलाओं की नग्न परेड दिखाई दे रही है, न जिन्दा जले यहूदी बच्चों के शव दिख रहे हैं, और न ही वे 200 बंधक, जो अब भी हमास की कैद में हैं। कांग्रेस- AIMIM समेत इन मुस्लिम संगठनों ने 11 दिनों में एक बार भी हमास से बंधक बनाए गए लोगों को छोड़ने की अपील नहीं की है। क्या एक देश अपने नागरिकों को इस तरह आतंकियों के चंगुल में छोड़ सकता है ? हमास द्वारा एक म्यूजिक फेस्टिवल में इजराइल के 250 लोगों की एकसाथ लाशें बिछा दी गई थी, क्या उन आतंकियों पर भी इजराइल कार्रवाई न करे ?