दिल्ली में पानी की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठीं 'जल मंत्री' आतिशी मार्लेना, क्या इससे निकलेगा हल ?
दिल्ली में पानी की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठीं 'जल मंत्री' आतिशी मार्लेना, क्या इससे निकलेगा हल ?
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नई दिल्ली: दिल्ली में पानी की गंभीर समस्या के बीच दिल्ली की जल मंत्री आतिशी मार्लेना ने आज शुक्रवार को दक्षिण दिल्ली के भोगल में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है। यह हड़ताल हरियाणा पर राज्य से प्रतिदिन 100 मिलियन गैलन अतिरिक्त पानी प्राप्त करने के लिए दबाव बनाने के लिए की जा रही है। मंच पर आतिशी के साथ सुनीता केजरीवाल, संजय सिंह और पार्टी के अन्य विधायक भी मौजूद हैं।

भूख हड़ताल शुरू करने से पहले आतिशी ने सुनीता केजरीवाल, संजय सिंह और अन्य लोगों के साथ राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। इससे पहले आज आतिशी अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठने से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के परिवार से मिलने उनके आवास पर गईं। आतिशी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि तमाम प्रयासों के बावजूद हरियाणा की भाजपा सरकार दिल्ली के हिस्से का पानी नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि, "महात्मा गांधी ने सिखाया है कि अगर किसी को अन्याय के खिलाफ लड़ना है तो उसे सत्याग्रह का रास्ता अपनाना होगा।" बुधवार को आतिशी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते जल संकट को हल करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की थी।

मीडिया को संबोधित करते हुए आतिशी मार्लेना ने कहा कि दिल्ली के 28 लाख लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं और प्रधानमंत्री मोदी को "दिल्ली के लोगों के लिए पानी लाना चाहिए, चाहे वह हरियाणा से लाएं या कहीं और से।" उन्होंने दावा किया कि, "कल हरियाणा ने दिल्ली को 613 एमजीडी के मुकाबले 513 एमजीडी (मिलियन गैलन प्रतिदिन) पानी छोड़ा। एक एमजीडी पानी 28,500 लोगों के लिए है। इसका मतलब है कि 28 लाख से अधिक लोगों के लिए पानी नहीं छोड़ा गया।"

दिल्ली में जल संकट पर सियासी दंगल :-

बता दें कि, दिल्ली में जारी  जल संकट के बीच AAP सरकार ये कहते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुँची थी कि हिमाचल प्रदेश सरकार उसे 136 क्यूसेक  पानी दे रही है, मगर हरियाणा सरकार उसे दिल्ली नहीं पहुँचने दे रही है। हरियाणा सरकार ने कोर्ट में हलफनामा भी दिया था कि, उसे हिमाचल से अतिरिक्त पानी नहीं मिल रहा है, जितना मिल रहा है वो दिल्ली के लिए छोड़ रही है। इसके बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी खुद सर्वोच्च न्यायालय में कह दिया था कि उसके पास एक्स्ट्रा पानी है ही नहीं, तो वो दिल्ली को कैसे दे? 

इस बीच, जब शीर्ष अदालत ने जब AAP सरकार को टैंकर माफिया के मुद्दे पर घेरा और माफियाओं के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में पूछा, तो पहले तो AAP सरकार ने ये बहाना बनाया कि टैंकर माफिया पर वो कैसे कार्रवाई करे, क्योंकि दिल्ली पुलिस उसके अधीन नहीं आती है। ये दलील सुनकर जब शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि तुम कार्रवाई नहीं कर सकते, तो हम  दिल्ली पुलिस को आदेश दे देते हैं, तो फिर AAP सरकार अपने बयान से पलट गई। केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि टैंकर माफिया तो यमुना के उस पार यानी हरियाणा से ऑपरेट करते हैं, वो  दिल्ली सरकार का क्षेत्र ही नहीं है, इसलिए दिल्ली पुलिस एक्शन नहीं ले सकती।

इस पूरी सियासी नूरा-कुश्ती से आप एक बात समझ सकते हैं, वो ये कि लोकसभा चुनाव तक दिल्ली और हिमाचल की सत्ताधारी पार्टियाँ, यानी कांग्रेस और AAP एक साथ खड़ी हुईं थीं, दोनों ने मिलकर भाजपा शासित हरियाणा को घेरने की पुरजोर कोशिश की। AAP सरकार ने आरोप लगाया कि, हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार तो उसके लिए  पानी छोड़ रही है, लेकिन हरियाणा की भाजपा सरकार उसे  दिल्ली पहुँचने नहीं दे रही। किन्तु, अब जब कांग्रेस और AAP ने दिल्ली, हरियाणा में अलग-अलग विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी और गठबंधन टूट चुका, तो सुप्रीम कोर्ट में हिमाचल सरकार में भी पलटी मार ली। हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने शीर्ष अदालत को कहा कि उसके पास एक्स्ट्रा पानी नहीं है, तो वो दिल्ली को क्या दे ? इस पूरे घटनाक्रम से यही निकलकर आ रहा है कि, ना तो हिमाचल ने एक्स्ट्रा पानी छोड़ा, और ना ही हरियाणा ने पानी रोका, लेकिन AAP सरकार के इस सियासी घटनाक्रम में आम जनता जरूर प्यास से तड़पने लगी। यही कोर्ट कचहरी करने की जगह यदि, दिल्ली सरकार अपने निवासियों के लिए जल का इंतज़ाम करवाने पर ध्यान देती, तो शायद तस्वीर कुछ और होती। 

इससे पहले,  पिछली सुनवाई में भी सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली की AAP सरकार को फटकार लगाई थी कि वो कोर्ट में झूठ बोल रही है। दिल्ली सरकार न तो टैंकर माफिया के खिलाफ कोई एक्शन ले रही है और न ही जल संकट से निपटने के लिए कोई ठोस उपाय कर रही है। शीर्ष अदालत ने तो यहाँ तक कह दिया था कि अगर दिल्ली सरकार कार्रवाई करने में नाकाम है, तो अदालत खुद दिल्ली पुलिस को टैंकर माफिया के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दे देगी। अब सुप्रीम कोर्ट में  दिल्ली सरकार ने एक और नया आरोप लगा दिया है कि दिल्ली में सक्रिय टैंकर माफिया सारे हरियाणा से आते हैं और वो दिल्ली को क्षति पहुँचा रहे हैं।

बहरहाल, अभी  जल संकट को देखते हुए शीर्ष अदालत ने कहा है कि दिल्ली सरकार अपर यमुना रिवर बोर्ड से अपील करे कि वो अधिक  पानी दिल्ली के लिए छोड़े। चूँकि, सर्वोच्च न्यायालय पानी के बँटवारे की विशेषज्ञ नहीं है, इसलिए यमुना के पानी के बँटवारे की जिम्मेदारी उन्होंने अपर यमुना रिवर बोर्ड पर छोड़ दी है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने AAP सरकार से यह भी पूछा कि वो  जल संकट से निपटने की क्या कदम उठा रही है, जिसके बाद दिल्ली सरकार ने कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया है, जिसमे कहा गया है कि वो दिल्ली में जल की बर्बादी रोकने के लिए कदम उठा रही है और पानी बर्बाद करने वालों पर जुर्माना भी लगा रही है, मगर हरियाणा के टैंकर माफिया के कारण  पानी ही नहीं मिल पा रहा है और वो माफियाओं के विरुद्ध कोई कदम इसलिए नहीं उठा पा रही, क्योंकि वो इलाका हरियाणा का है।

इस मामले में शीर्ष अदालत ने पहले भी सरकारों को फटकार लगाई थी कि वो उसके सामने झूठ बोला रही हैं, लेकिन दिल्ली में सत्ता संभाल रही AAP और हिमाचल की सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी की सरकारें अब भी अपना बयान बदलती जा रही हैं। ऐसे में शीर्ष अदालत इस मामले में क्या कदम उठाती है, ये देखने वाली बात होगी। वैसे गौर करने वाली बात ये भी है कि,  दिल्ली में हर साल गर्मियों में  पानी की किल्लत होती ही है, प्रति वर्ष इन महीनों में वहां टैंकरों के सामने लाइन में खड़े लोग देखे जाते हैं। वहीं, जब मानसून में पानी आता है, तो छठ पूजा के दौरान रसायन वाले झाग से भरी यमुना नदी की तस्वीरें भी देखने को मिलती हैं, यदि यमुना का ही ठीक से रख रखाव किया जाए, बारिश के पानी का संग्रहण किया जाए, तो इस समस्या को काफी कम किया जा सकता है। दिल्ली में पानी की किल्लत से बड़ी समस्या, जल प्रबंधन की है, लगभग 10 वर्षों से शासन कर रही AAP सरकार अब तक राजधानी के निवासियों को पर्याप्त जल उपलब्ध कराने में विफल रही है, अब वे हरियाणा, हिमाचल और यूपी से अतिरिक्त जल आपूर्ति की मांग कर रहे हैं। 

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