नई दिल्ली: कई महीनों से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में फिर दोहराया है कि वह शांति का पक्षधर है। भारत उस पक्ष में है, जो बातचीत और कूटनीति को एकमात्र रास्ता बताता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने UNGA के उच्च स्तरीय सत्र में कहा कि, यूक्रेन संघर्ष जारी है, हमसे अक्सर पूछा जाता है कि हम किसके पक्ष में हैं और हर बार हमारा सीधा और ईमानदार उत्तर होता है।
उन्होंने बताया कि इस संघर्ष का शीघ्र हल निकालने के लिए संयुक्त राष्ट्र के अंदर और बाहर रचनात्मक रूप से काम करना अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामूहिक हित में है। राष्ट्रीय वक्तव्य देते हुए एस जयशंकर ने कहा कि इस संघर्ष में भारत शांति के पक्ष में (खड़ा) है और मजबूती से रहेगा। उन्होंने कहा कि, हम उस पक्ष में हैं जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर और उसके संस्थापक सिद्धांतों का सम्मान करता है। हम उस पक्ष में हैं जो वार्ता और कूटनीति को एकमात्र रास्ता बताता है। जयशंकर ने कहा कि, हम उन लोगों के पक्ष में हैं, जो अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। भोजन, ईंधन और उर्वरकों की बढ़ती लागत से जूझ रहे हैं।
विदेश मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर कहा कि, विश्व पहले से ही महामारी के बाद आर्थिक सुधार की चुनौतियों का सामना कर रही है। विकासशील (देशों) की कर्ज की स्थिति अनिश्चित है। उन्होंने कहा कि, इसमें अब बढ़ती लागत और ईंधन, खाद्य और उर्वरकों की घटती उपलब्धता भी जुड़ गई है। ये व्यापार व्यवधान यूक्रेन संघर्ष के कई नतीजों में से एक हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा यूक्रेन संघर्ष के नतीजों ने खासकर खाद्य पदार्थ और ऊर्जा पर वित्तीय दबाव को और अधिक बढ़ा दिया है।
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