श्रीनगर: एक समय मोदी सरकार की कट्टर आलोचक रहीं, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद ने कश्मीर में दीर्घकालिक शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारतीय सेना, पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की प्रशंसा की है। यह प्रशंसा हाल में जारी इज़राइल-हमास संघर्ष के संदर्भ में थी, जो शनिवार को आठवें दिन में प्रवेश कर गया और एक बड़े मानवीय संकट में बदल गया है, क्योंकि इज़राइल के निकासी आदेश के बाद सैकड़ों और हजारों गाजावासियों ने भागना शुरू कर दिया है।
Looking at the events in the Middle East, today I realise how lucky we are as Indians. The Indian Army and security forces have sacrificed their everything for our safety.
— Shehla Rashid (@Shehla_Rashid) October 14, 2023
Credit where it's due @pmoindia @HMOIndia @manojsinha_ @adgpi @ChinarcorpsIA for bringing peace to Kashmir https://t.co/qeUCkJq9g3
इसको देखते हुए शेहला रशीद ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, "मध्य पूर्व की घटनाओं को देखते हुए, आज मुझे एहसास हुआ कि हम भारतीय होने के नाते कितने भाग्यशाली हैं। भारतीय सेना और सुरक्षा बलों ने हमारी सुरक्षा के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया है। कश्मीर में शांति लाने के लिए पीएमओ इंडिया, गृह मंत्रालय, मनोज सिन्हा, @adgpi और @ChinarcorpsIA को श्रेय दें। उन्होंने लिखा कि, "सुरक्षा के बिना शांति असंभव है, जैसा कि मध्य पूर्व संकट ने दिखाया है। भारतीय सेना @ChinarcorpsIA के साथ-साथ @crpfindia और जम्मू कश्मीर पुलिस @JmuKmrPolice के बहादुर कर्मियों ने कश्मीर में दीर्घकालिक शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जबरदस्त बलिदान दिया है।"
बता दें कि, शेहला रशीद पहली बार 2016 में सुर्ख़ियों में आई थीं, जब उन्हें कन्हैया कुमार (तब छात्र नेता, अब कांग्रेस नेता), और आतंकी गतिविधियों के आरोपी उमर खालिद के साथ 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' करार दिया गया था। इन पर आरोप लगा था कि, इन्होने 'भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाल्लाह-इंशाल्लाह' और 'अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिन्दा हैं', जैसे नारे लगाए थे। 2019 में, शेहला रशीद पर उनके ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया था, जिसमें उन्होंने भारतीय सेना पर घरों में तोड़फोड़ करने और कश्मीर में भय का माहौल पैदा करने का आरोप लगाया गया था। उस समय शेहला लगातार, सरकार विरोधी और भारतीय सेना विरोधी बयान देती रहती थीं।
हालाँकि, इस साल अगस्त में, शेहला रशीद ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाकर्ताओं की सूची से अपना नाम वापस ले लिया था। उन्होंने कहा था कि, "यह स्वीकार करना कितना भी असुविधाजनक हो, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन के तहत कश्मीर में मानवाधिकार रिकॉर्ड में सुधार हुआ है।' शेहला रशीद ने कहा था कि, "विशुद्ध रूप से उपयोगितावादी गणना के अनुसार, सरकार के स्पष्ट रुख ने कुल मिलाकर जीवन बचाने में मदद की है। यह मेरा दृष्टिकोण है।"
याचिका से अपना नाम वापस लेने वाले एक अन्य प्रमुख व्यक्ति IAS अफसर शाह फैसल थे, जिन्होंने 2019 में राजनीति में शामिल होने के लिए सरकारी सेवा से इस्तीफा दे दिया और फिर अपनी राजनितिक पार्टी बनाई थी। राजनीति में शेहला रशीद का संक्षिप्त कार्यकाल शाह फैसल की पार्टी के साथ ही था। तीन साल बाद, शाह फैसल सरकारी सेवा में लौट आए, क्योंकि उनका इस्तीफा कभी स्वीकार नहीं किया गया और दोनों ने इस साल सुप्रीम कोर्ट की याचिका से नाम वापस ले लिया।
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