लखनऊ: आम आदमी पार्टी (AAP), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और शिवसेना (UBT) के बाद अब बहुजन समाज पार्टी (बापसा) ने भी समान नागरिक संहिता (UCC) पर अपना स्टैंड स्पष्ट कर दिया है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने बड़ा बयान देते हुए रविवार (2 जुलाई) को कहा है कि उनकी पार्टी UCC के विरोध में नहीं है. लेकिन, संविधान इसे थोपने का समर्थन नहीं करता है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने आगे कहा कि भाजपा को UCC से संबंधित तमाम आयामों पर विचार करना चाहिए. हमारी पार्टी UCC लागू करने के खिलाफ नहीं है. UCC लागू करने के भाजपा मॉडल पर हमारी असहमति है. भाजपा यूसीसी के माध्यम से संकीर्ण मानसिकता की राजनीति करने का प्रयास कर रही है.
बसपा ने कहा कि यदि भाजपा अपने तुच्छ सियासी एजेंडे से ऊपर उठकर इसे लाती है तो हम इसका समर्थन करेंगे, वर्ना इसका विरोध करेंगे. सरकार UCC को चर्चा का विषय बनाकर ध्यान भटकाने की सियासत कर रही है. UCC का जिक्र पहले से ही संविधान में है. मायावती ने कहा कि यहां विशाल जनसंख्या वाले भारत देश में हिंदू, मुस्लिम, सिख इसाई, पारसी बौद्ध अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं. इनके अपने खान-पान, रहन-सहन और जीवनशैली के तौर-तरीके और रस्म-रिवाज हैं. इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है.
मायावती ने कहा कि ये बात भी सोचने वाली है कि यदि प्रत्येक धर्म के मानने वाले एक समान कानून लागू होता है, तो इससे देश कमजोर नहीं बल्कि मजबूत ही होगा. साथ ही लोगों में आपसी सद्भाव भी उत्पन्न होगा. यह बात भी कहीं हद तक सही है. इसे ध्यान में रखते हुए ही भारतीय संविधान की धारा 14 में UCC को बनाने का उल्लेख किया गया है.
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