नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने संसद और विधानसभा चुनावों में मतदान अनिवार्य करने के लिए केन्द्र सरकार और निर्वाचन आयोग को निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करने से आज शुक्रवार (17 मार्च) को इनकार कर दिया। उच्च न्यायालय ने कहा कि वह किसी व्यक्ति को मतदान के लिए विवश नहीं कर सकते। हाईकोर्ट ने कहा कि, 'हम विधायक नहीं हैं। हम इस प्रकार के निर्देश पारित नहीं कर सकते। क्या संविधान में कोई प्रावधान है जो वोटिंग को अनिवार्य बनाता है।'
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा एवं जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय को चेतावनी देते हुए कहा कि वह याचिका को जुर्माने के साथ खारिज कर देंगे, जिसके बाद उन्होंने इसे वापस ले लिया। उपाध्याय ने जनहित याचिका दाखिल की थी, जिसमें कहा गया था कि अनिवार्य मतदान सुनिश्चित करेगा कि हर नागरिक की आवाज हो, लोकतंत्र की गुणवत्ता में सुधार होगा और वोटिंग का अधिकार सुरक्षित होगा।
याचिका में कहा गया है कि मतदान का कम प्रतिशत एक सतत समस्या है और अनिवार्य मतदान, मतदान फीसद बढ़ाने में सहायता कर सकता है, खासकर वंचित समुदायों के लिए। सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता ने ड्राइवरों का उदाहरण देते हुए कहा कि उनमें से कई लोग मतदान करने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि उन्हें दूसरे शहरों में काम करना पड़ता है।
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