'हमें हिंदुत्व बर्दाश्त नहीं..', बांग्लादेशी सरकार के सलाहकार ने उगला जहर, हसीना के 400 कार्यकर्ताओं की हत्या

'हमें हिंदुत्व बर्दाश्त नहीं..', बांग्लादेशी सरकार के सलाहकार ने उगला जहर, हसीना के 400 कार्यकर्ताओं की हत्या
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ढाका: बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक उथल-पुथल ने देश को हिंसा और अराजकता के गहरे साये में धकेल दिया है। शेख हसीना सरकार का तख्ता पलट होने के बाद, उनकी पार्टी आवामी लीग के सैकड़ों नेताओं और कार्यकर्ताओं को पूरी साजिश के तहत निशाना बनाया गया। अब तक, पार्टी के 400 से अधिक सदस्यों की हत्या हो चुकी है।  

रिपोर्ट के अनुसार, आवामी लीग का दावा है कि इन हत्याओं के पीछे इस्लामी कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी और उसकी छात्र शाखा छात्र शिबिर का हाथ है। पार्टी ने 394 मृतकों की एक सूची जारी की है, जिसे वह शुरुआती सूची बता रही है। पार्टी का कहना है कि आने वाले समय में और भी नाम सामने लाए जाएंगे। तख्ता पलट के बाद 5 अगस्त को एक ही दिन में पार्टी के 29 नेताओं और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या कर दी गई। जानकारों का कहना है कि यह हत्याएं जमात-ए-इस्लामी की एक खास रणनीति का हिस्सा हैं, जिसके तहत राजनीतिक विरोधियों को खत्म किया जा रहा है।  

शेख हसीना सरकार के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले छात्र नेता आसिफ महमूद, जो अब नई सरकार में सलाहकार हैं, ने भारत के खिलाफ तीखा रुख अपनाया है। महमूद का कहना है कि बांग्लादेश के लोग हिंदुत्व के खिलाफ हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत, शेख हसीना का समर्थन करके बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में दखल दे रहा है। महमूद ने कहा, “हमारे लोग भारत से नाराज हैं क्योंकि भारत शेख हसीना को शरण दे रहा है। अगर भारत उन्हें वापस भेजता है तो इससे दोनों देशों के रिश्ते बेहतर होंगे।”  

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को महमूद ने एक राजनीतिक मसला बताते हुए कहा कि भारत का हिंदुत्ववादी एजेंडा बांग्लादेश के लिए अस्वीकार्य है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के "हिंदू घोषणापत्र" का जिक्र करते हुए इसे मुस्लिमों के खिलाफ बताया। महमूद ने भारत के CAA-NRC कानून का विरोध करते हुए दावा किया कि इससे बांग्लादेश को खतरा है, क्योंकि बड़ी संख्या में प्रवासी वापस आ सकते हैं।  

बांग्लादेश में “बैन भाजपा” के पोस्टर और भारतीय उत्पादों के बहिष्कार की मांग बढ़ रही है। महमूद ने कहा कि यह नाराजगी उन लोगों के खिलाफ है जो शेख हसीना सरकार के समर्थन में थे। नई सरकार ने 'जय बांग्ला' नारे को राष्ट्रीय प्रतीक मानने से इनकार कर दिया है और सरकारी नोटों से शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीरें हटाने की तैयारी कर रही है। महमूद का कहना है कि बांग्लादेश का कोई एक राष्ट्रपिता नहीं हो सकता। उन्होंने मौलाना हामिद खान वसानी, हुसैन सुहरावर्दी और जोगेन मंडल जैसे कई संस्थापक नेताओं का जिक्र किया। बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्ता पलट के बाद न केवल राजनीतिक हत्याएं बढ़ी हैं, बल्कि देश में भारत विरोधी माहौल भी तेज हुआ है। हिंदुत्व को लेकर भारत और बांग्लादेश के रुख में स्पष्ट विरोधाभास है। जहां भारत में हिंदुत्व पर राजनीतिक बहस चल रही है, वहीं बांग्लादेश में इसे हिंदुओं के अस्तित्व पर हमले के रूप में देखा जा रहा है।  

भारत में भी हिन्दू बनाम हिंदुत्व:- 

भारत में भी कुछ नेता खुलकर हिंदुत्व का विरोध करते हैं। भारत के प्रधानमंत्री के उम्मीदवार राहुल गांधी तो एक रैली में यहाँ तक कह चुके हैं कि इन हिन्दुत्ववादियों को देश से बाहर निकालना है, तो क्या वे भी बांग्लादेशी लहजे में ही बात कर रहे थे ? या भारत में वैसा ही राज लाना चाह रहे हैं ? हालाँकि, राहुल अपनी बुद्धि से तर्क देते हैं कि हिन्दू और हिंदुत्व अलग है, हिन्दू धर्म अलग है और भाजपा-RSS का हिंदुत्व अलग है। यदि इस तर्क को माना भी जाए, तो बांग्लादेश में तो भाजपा-RSS नहीं है, फिर वहां किस हिंदुत्व को ख़त्म करने की बात हो रही है? वहां तो सभी हिन्दुओं पर हमले हो रहे हैं।

राहुल गांधी की विचारधारा के उलट बांग्लादेशी कट्टरपंथियों की नज़र में हिन्दू  और हिंदुत्व एक ही है और वास्तव में भी ये दोनों एक ही है, शायद राहुल समझ नहीं पा रहे हैं। जैसे माता के अंदर मातृत्व होता है, यानी माता होने का भाव, पिता के अंदर पितृत्व, वैसे ही हिन्दू होने के भाव को हिंदुत्व कहते हैं, अब अगर राहुल गांधी अपने आप को हिन्दू मानने वालों को ही देश से बाहर निकालना चाहते हैं, तो ऐसा ही लगता है कि वे बांग्लादेशी के किसी कट्टरपंथी की भाषा बोल रहे हैं।  

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