नई दिल्ली: दिल्ली की राजनीति में हलचल मचाने वाली खबर सामने आई है। आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार को दिल्ली हाई कोर्ट ने कटघरे में खड़ा करते हुए उसकी नीयत और ईमानदारी पर गंभीर सवाल उठाए हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जो खुद को ‘कट्टर ईमानदार’ कहने से नहीं थकते, उनकी सरकार की कार्यशैली पर अदालत ने कड़ी टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट को लेकर दिल्ली सरकार की ओर से बरती गई लापरवाही पर कहा कि "आपकी ईमानदारी पर संदेह होता है।"
मामला CAG की उन रिपोर्ट्स का है, जो दिल्ली सरकार के कामकाज पर सवाल उठाती हैं। 14 पन्नों की इन रिपोर्ट्स में मुख्यमंत्री के आलीशान बंगले पर करोड़ों रुपये खर्च करने और विवादास्पद शराब नीति के कारण सरकारी खजाने को 2000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होने का दावा किया गया है। नियमानुसार, इन रिपोर्ट्स को विधानसभा में पेश कर उन पर चर्चा होनी चाहिए थी, लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार ने ऐसा नहीं किया। इसके बजाय, रिपोर्ट्स को उपराज्यपाल के पास भेजने में जानबूझकर देरी की गई।
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सचिन दत्ता की पीठ ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से रिपोर्ट पर चर्चा से बचने की कोशिश की गई है, वह सरकार की ईमानदारी पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि CAG रिपोर्ट्स का विधानसभा में प्रस्तुत न किया जाना न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही के नाम पर AAP सरकार के दावों को खोखला साबित करता है।
यह मामला तब और पेचीदा हो गया जब भाजपा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए दावा किया कि दर्जनभर CAG रिपोर्ट्स लंबे समय से विधानसभा में लंबित हैं। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि AAP सरकार जानबूझकर इन रिपोर्ट्स को दबा रही है क्योंकि ये उनके कामकाज की पोल खोलती हैं। कोर्ट ने इस पर सरकार और विधानसभा स्पीकर से जवाब मांगा था। AAP सरकार का बचाव करते हुए दावा किया गया कि रिपोर्ट स्पीकर को सौंप दी गई थी। लेकिन कोर्ट की तीखी टिप्पणी के बाद अब चुनावी माहौल में यह मुद्दा जोर पकड़ सकता है। अरविंद केजरीवाल, जो अपनी ईमानदारी को AAP का मुख्य स्तंभ बताते हैं, इस विवाद में फंसते नजर आ रहे हैं। अगर यह मामला जनता के बीच गर्माया तो AAP के लिए सत्ता में बने रहना मुश्किल हो सकता है।
दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी के बाद सवाल उठने लाजमी हैं कि अगर खुद को ईमानदारी का प्रतीक बताने वाली सरकार पारदर्शिता और जवाबदेही से भागती है, तो क्या यह उसके दावों पर गहरी चोट नहीं है? चुनावी मौसम में यह मामला विपक्ष के लिए बड़ा हथियार बन सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आम आदमी पार्टी इस स्थिति से खुद को कैसे बाहर निकालती है और जनता के सामने अपनी ईमानदारी के दावों को कैसे बचाती है।