'विकसित भारत के निर्माण हेतु एकजुट होना होगा..', नेताजी सुभाष की जयंती पर बोले पीएम मोदी

'विकसित भारत के निर्माण हेतु एकजुट होना होगा..', नेताजी सुभाष की जयंती पर बोले पीएम मोदी
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भुवनेश्वर: महान स्वतंत्रता सेनानी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती के मौके पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को देशवासियों से 'विकसित भारत' के निर्माण के लिए एकजुट होने की अपील की। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ओडिशा के कटक स्थित ऐतिहासिक बाराबती किले में आयोजित पराक्रम दिवस समारोह को संबोधित किया। 

पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत ओडिया भाषा में करते हुए इस तीन दिवसीय समारोह के आयोजन के लिए ओडिशा के नागरिकों और राज्य सरकार को बधाई दी। उन्होंने कहा, "आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के पावन अवसर पर पूरा देश उन्हें श्रद्धा के साथ याद कर रहा है। मैं नेताजी सुभाष बाबू को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। इस वर्ष पराक्रम दिवस का भव्य आयोजन नेताजी की जन्मस्थली पर हो रहा है। मैं इसके लिए ओडिशा के लोगों और सरकार को बधाई देता हूं।"

प्रधानमंत्री ने कटक में आयोजित प्रदर्शनी की सराहना की, जिसमें नेताजी के जीवन से जुड़ी धरोहरों, चित्रों और किताबों को प्रदर्शित किया गया है। उन्होंने कहा, "यह प्रदर्शनी हमें नेताजी के जीवन और उनके संघर्ष की झलक दिखाती है। कई चित्रकारों ने उनके जीवन के दृश्यों को कैनवास पर उकेरा है। यह आयोजन हमारे युवाओं को नेताजी के जीवन और उनके बलिदान से प्रेरणा लेने का एक अवसर है।"

नेताजी के जीवन पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस का जीवन सादगी और देशभक्ति की मिसाल है। उन्होंने ब्रिटिश सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बावजूद आरामदायक जीवन को छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम का कठिन मार्ग चुना। उन्होंने कहा, "नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक संपन्न परिवार से थे और अगर चाहते तो ब्रिटिश प्रशासन में उच्च पद पर आसीन होकर आरामदायक जीवन जी सकते थे। लेकिन उन्होंने देश की आजादी के लिए संघर्ष का रास्ता चुना और खुद को भारत माता के प्रति समर्पित कर दिया।"

प्रधानमंत्री ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि अगर हमें भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है, तो हमें अपने सुविधा क्षेत्र से बाहर निकलकर उत्कृष्टता की ओर बढ़ना होगा। उन्होंने 'आजाद हिंद फौज' का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह नेताजी ने विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों को आजादी की लड़ाई के लिए एकजुट किया था, उसी तरह आज हमें भी भारत के विकास के लिए एकजुट होना होगा। उन्होंने कहा, "आजादी के लिए 'आजाद हिंद फौज' बनी थी, जिसमें हर धर्म, हर वर्ग और हर पृष्ठभूमि के लोग थे। आज हमें भी 'विकसित भारत' के लक्ष्य के लिए एकजुट होना होगा।"

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान नेताजी के योगदान को याद करते हुए कहा कि उनका उद्देश्य केवल स्वराज नहीं था, बल्कि भारत को एक सशक्त और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाना था। पराक्रम दिवस का यह तीन दिवसीय आयोजन 23 से 25 जनवरी, 2025 तक नेताजी की जन्मस्थली कटक के बाराबती किले में मनाया जा रहा है। इस समारोह में मूर्तिकला कार्यशाला, चित्रकला प्रतियोगिता, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और नेताजी के जीवन पर आधारित फिल्मों का प्रदर्शन किया जा रहा है। 

यह आयोजन नेताजी की विरासत को सलाम करते हुए न केवल उन्हें श्रद्धांजलि देता है, बल्कि देश के नागरिकों को उनकी प्रेरणादायक सोच और योगदान से अवगत कराता है। नेताजी के विचार आज भी हमें यह सिखाते हैं कि जब देश के नागरिक एकजुट होकर अपने लक्ष्य के लिए काम करते हैं, तो असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।

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