चंडीगढ़: हरियाणा के 3 जिलों के 14 गांवों ने सामूहिक रूप से पुलिस और जिला प्रशासन को पत्र लिखकर मुस्लिम समुदाय के सदस्यों का बहिष्कार करने के अपने फैसले की जानकारी दी। पंचायत का ये फैसला हाल ही में हरियाणा के नूंह में सावन सोमवार को जलाभिषेक यात्रा पर कट्टरपंथियों द्वारा हमला किए जाने के बाद लिया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, ये 14 गांव महेंद्रगढ़, झज्जर और रेवारी से हैं, जो 31 जुलाई को जलाभिषेक यात्रा पर हमले के बाद शुरू हुई सांप्रदायिक झड़पों से प्रभावित जिलों में से थे। बता दें कि, नूंह में शुरू हुई हिंसा अन्य जिलों में फैलने से 6 लोगों की जान चली गई, दंगाइयों ने 80 से अधिक वाहन जला डाले और संपत्ति को काफी नुकसान हुआ। सांप्रदायिक झड़पों के बाद 14 पंचायतों ने मुस्लिम समुदाय के सदस्यों का बहिष्कार करने का फैसला लिया और एक पत्र के माध्यम से हरियाणा में अधिकारियों को सूचित किया।
इन गांवों के हिंदू समुदाय द्वारा लिखे गए पत्र में मुस्लिम समुदाय को मकान, दुकानें और प्रतिष्ठान किराए पर देने से इनकार करने की अपील की गई है। इसके अलावा, ग्रामीण, सड़क विक्रेताओं को गांव में प्रवेश देने से पहले उनके पहचान प्रमाण की भी जांच कर रहे हैं। गुरुग्राम नगर निगम (MCG) के निवर्तमान पार्षद ब्रह्म यादव ने कहा कि मकान मालिकों को अपनी संपत्ति किराए पर देने से पहले किरायेदारों के आधार कार्ड और अन्य पहचान प्रमाणों को सत्यापित करना चाहिए। यादव ने आगे कहा कि "वाल्मीकि लोगों" (दलितों) को जिले में मांस की दुकानें संचालित करनी चाहिए और उन्होंने लोगों से मुसलमानों द्वारा संचालित दुकानों का बहिष्कार करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि, '31 जुलाई को नूंह में जो हिंसा भड़की, वह मुस्लिम समुदाय के कारण थी। उन्हें क्षेत्र में कोई मकान या कमरा किराये पर न दिया जाए। वास्तव में, हमारे वाल्मिकी लोगों को जिले में मांस की दुकानें चलाने की अनुमति दी जानी चाहिए और हम सभी को मुसलमानों द्वारा संचालित दुकानों का बहिष्कार करना चाहिए।' वहीं, हरियाणा पुलिस ने हिंसा भड़काने और अंजाम देने के आरोपी 215 से अधिक लोगों को गिरफ्तार करने का दावा किया है। उधर, सरकार ने कहा कि एक बड़ी साजिश पर कार्रवाई चल रही है। 31 जुलाई की हिंसा पूर्व नियोजित थी।
नूह हिंसा: दंगाइयों ने महिला जज को भी नहीं छोड़ा, 3 वर्षीय बेटी के साथ भागकर न्यायमूर्ति ने बचाई जान